घनश्याम की बंशी
संजय वर्मा ‘दृष्टि’ मनावर (मध्यप्रदेश)******************************** कैसा गुल खिलाती है घनश्याम की बंशी,बस ‘राधे-राधे’ गाती है घनश्याम की बंशीबंसी वादन से खिल जाते थे कमल,वृक्षों से आँसू बहने लगते स्वर में स्वर मिलाकरनाचने लगते थे मोर पक्षी हो जाते थे मुग्ध,ऐसी होती थी बंसी की तान।कैसा गुल खिलाती है घनश्याम की बंशी… नदियाँ कल-कल स्वरों को बंसी … Read more