शरद का अंत ‘बसंत’
एस.के.कपूर ‘श्री हंस’बरेली(उत्तरप्रदेश)********************************* बसंत पंचमी विशेष…. शरद ऋतु तुमको प्रणाम,खुमारी-सी छाने लगी है,लगता ऋतुराज़ बसंत की,रुत अब कहींआने लगी है।माँ सरस्वती का आशीर्वाद,अब पाना है हम सबको-मन पतंग भी अब खुशियों के,हिलोरे खाने लगी है॥ पत्ता-पत्ता,बूटा-बूटा अब,खिला-खिला-सा तकता है,धवल रश्मि किरणों-सा,सूरज जैसे अब जगता है।मौसम चक्र में मनभावन,परिवर्तन अब आया जैसे-ऋतुराज बसन्त का अवसर,अब आया-सा … Read more