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लोकतंत्र का पर्व मनाएं

डॉ.एन.के. सेठी
बांदीकुई (राजस्थान)

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गणतंत्र दिवस स्पर्धा विशेष……….

लोकतंत्र का पर्व मनाएं,
सभी खुशी से नाचे गाएं।

दुनिया में है सबसे न्यारा,
यह भारत गणतंत्र हमारा।

इसकी जड़ है सबसे गहरी,
इसकी रक्षा करते प्रहरी।

सबसे बड़ा विधान हमारा,
नमन करे जिसको जग सारा।

लोकतंत्र का महापर्व है,
हमको इस पर बड़ा गर्व है।

भारत प्यारा वतन हमारा,
ये दुनिया में सबसे न्यारा।

भिन्न-भिन्न जाती जन रहते,
विविध धर्म भाषा को कहते।

नाना संस्कृति का संगम है,
खुशियाँ होती कभी न कम है।

उत्सव अरु त्यौहार मनाते,
इक-दूजे से प्यार जताते।

नारी का सम्मान यहाँ है,
मेहमान का मान यहाँ है।

वसुधा को परिवार समझते,
सर्वसुख की कामना करते।

करती पावन गंगा-धारा,
सूरज फैलाए उजियारा।

हम दुश्मन को गले लगाते,
सब मिल गीत खुशी के गाते।

करता हमसे जो गद्दारी,
मिटती उसकी हस्ती सारी।

रण में पीठ न कभी दिखाते,
दुश्मन के हम होश उड़ाते।

त्याग शील पुरुषार्थ जगाएं,
लोकतंत्र का मान बढ़ाएं॥

परिचय-पेशे से अर्द्ध सरकारी महाविद्यालय में प्राचार्य (बांदीकुई,दौसा)डॉ.एन.के. सेठी का बांदीकुई में ही स्थाई निवास है। १९७३ में १५ जुलाई को बांदीकुई (राजस्थान) में जन्मे डॉ.सेठी की शैक्षिक योग्यता एम.ए.(संस्कृत,हिंदी),एम.फिल.,पीएच-डी., साहित्याचार्य,शिक्षा शास्त्री और बीजेएमसी है। शोध निदेशक डॉ.सेठी लगभग ५० राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठियों में विभिन्न विषयों पर शोध-पत्र वाचन कर चुके हैं,तो कई शोध पत्रों का अंतर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं में प्रकाशन हुआ है। पाठ्यक्रमों पर आधारित लगभग १५ व्याख्यात्मक पुस्तक प्रकाशित हैं। कविताएं विभिन्न पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं। आपका साहित्यिक उपनाम ‘नवनीत’ है। हिंदी और संस्कृत भाषा का ज्ञान रखने वाले राजस्थानवासी डॉ. सेठी सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत कई सामाजिक संगठनों से जुड़ाव रखे हुए हैं। इनकी लेखन विधा-कविता,गीत तथा आलेख है। आपकी विशेष उपलब्धि-राष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठियों में शोध-पत्र का वाचन है। लेखनी का उद्देश्य-स्वान्तः सुखाय है। मुंशी प्रेमचंद पसंदीदा हिन्दी लेखक हैं तो प्रेरणा पुंज-स्वामी विवेकानंद जी हैं। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-
‘गर्व हमें है अपने ऊपर,
हम हिन्द के वासी हैं।
जाति धर्म चाहे कोई हो 
हम सब हिंदी भाषी हैं॥’