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चीनी-भारतीय सैनिक लौट रहे ?

डॉ.अरविन्द जैन
भोपाल(मध्यप्रदेश)
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सैनिक गए नहीं थे,पर वापिस लौट रहे हैं। कभी-कभी बहुत सी चीज़ों में रहस्य छुपा रहता है,जैसे किसी से पूछो-आपने झूठ बोलना बंद कर दिया ? इसका उत्तर क्या हो सकता है ? ऐसी ही स्थिति भारत और चीन की है। यानी दोनों देशों में युद्ध नहीं हुआ, यानी कोई किसी की सीमा में नहीं गया,कोई के कोई सैनिक नहीं मरे,तब इसका क्या नाम होगा ? यदि सैनिक वापिस लौट रहे,यानी दोनों तरफ से अतिक्रमण किया गया होगा, तभी तो अपनी अपनी पुरानी स्थिति में आ रहे हैं,पर इस समय दोनों सरकार कहने को तैयार नहीं हैं कि,युद्ध हुआ था, अतिक्रमण किया गया और सैनिक नहीं मरे। जब कुछ नहीं हुआ था,तब सैनिकों के पीछे हटने का क्या कारण होता है।
भारत-चीन के सैनिक लौट रहे वापस एवं चीनी और भारतीय सैनिकों ने लद्दाख की पैंगोंग झील के दक्षिण और उत्तर तट से पीछे हटना शुरू कर दिया है,ये दावा है चाइना के रक्षा मंत्रालय का। चीन के रक्षा मंत्रालय ने कहा कि सैन्य कमांडर स्तर की ९वें दौर की बातचीत के बाद बनी सहमति पर अब अमल शुरू हो गया है। दोनों देशों ने पीछे हटना शुरू कर दिया है,पर भारतीय सेना की ओर से इस तरह का कोई बयान सामने नहीं आया है। दोनों ही देशों के बीच कमांडर लेवल की बातचीत हुई थी, जिसके बाद तय हुआ कि चरणबद्ध तरीके से दोनों देशों की सेनाएं पीछे हट जाएंगी। चीनी अखबार ने चीन के रक्षा मंत्रालय के हवाले से कहा है कि दोनों तरफ के अग्रिम पंक्ति के सैनिकों ने पीछे हटना शुरू कर दिया है।
दोनों देशों के बीच मई २०२० में उस वक्त तनाव की स्थिति बनना शुरू हुई थी,जब पैंगोंग झील पर चीन की सेना ने अपना दावा ठोकना चाहा था। भारत की सेना ने इस बात का विरोध किया। इसी दौरान दोनों सेनाओं के बीच झड़प भी हुई थी।
इसके बाद भारत में चीन विरोधी भावनाएं उबल पड़ीं। दोनों ओर से सीमाओं पर सैनिक बढ़ा दिए गए। हालांकि,बातचीत का रास्ता खुला रहा,लेकिन कोई समाधान नहीं निकला। अब ९वें दौर की बातचीत के बाद दोनों देशों के बीच सहमति बनी है।
चीन सरकार भरोसेमंद नहीं है,पर हम भी बहुत गफलत में रहते और रखते हैं। सच्चाई हमारे देश में ५-१० साल बाद कोई लिखेगा और वह इतिहास माना जाएगा और इतिहास हमेशा विवाद का विषय रहता है। आज भी अलग-अलग टी.वी. चैनल अपने-अपने दावे सच बताते हैं,किसकी बात निष्पक्ष मानें।
बहुत जानकारी,बहुत भ्रम होता है। वैसे भ्रम में रखना वर्तमान सरकार का काम होता है, क्योंकि आज अपनी गलती मानने को कोई तैयार नहीं होगा। बस,१९६२ का उदहारण देकर अपनी साख बताना काफी होता है। यानी सैनिक गए नहीं थे,पर लौट रहे हैं!

परिचय- डॉ.अरविन्द जैन का जन्म १४ मार्च १९५१ को हुआ है। वर्तमान में आप होशंगाबाद रोड भोपाल में रहते हैं। मध्यप्रदेश के राजाओं वाले शहर भोपाल निवासी डॉ.जैन की शिक्षा बीएएमएस(स्वर्ण पदक ) एम.ए.एम.एस. है। कार्य क्षेत्र में आप सेवानिवृत्त उप संचालक(आयुर्वेद)हैं। सामाजिक गतिविधियों में शाकाहार परिषद् के वर्ष १९८५ से संस्थापक हैं। साथ ही एनआईएमए और हिंदी भवन,हिंदी साहित्य अकादमी सहित कई संस्थाओं से जुड़े हुए हैं। आपकी लेखन विधा-उपन्यास, स्तम्भ तथा लेख की है। प्रकाशन में आपके खाते में-आनंद,कही अनकही,चार इमली,चौपाल तथा चतुर्भुज आदि हैं। बतौर पुरस्कार लगभग १२ सम्मान-तुलसी साहित्य अकादमी,श्री अम्बिकाप्रसाद दिव्य,वरिष्ठ साहित्कार,उत्कृष्ट चिकित्सक,पूर्वोत्तर साहित्य अकादमी आदि हैं। आपके लेखन का उद्देश्य-अपनी अभिव्यक्ति द्वारा सामाजिक चेतना लाना और आत्म संतुष्टि है।

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