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एहसास नहीं है तुम्हें

क्रिश बिस्वाल
नवी मुंबई(महाराष्ट्र)
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एहसास नहीं है तुम्हें,
कि पल-पल कितनी मेहनत करनी पड़ती है हमें
फिर भी तुम तो रहो बड़ी-बड़ी कोठियों में,
और हम रहें झोपड़ियों में।

एहसास नहीं है तुम्हें,
कि दर्द कितना होता है हमें
जब तुम्हारे बच्चे अन्न का अपमान करें,
और हमारे बच्चे भूखे मरें।

एहसास नहीं है तुम्हें,
कि कितना रोना पड़ता है हमें।
जब हमारे पास जीवित रहने के लिए,
कोई संसाधन नहीं होते,
क्योंकि तुम तो अमीर,नेता ठहरे॥

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