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कोरोना:कर्म एवं कर्तव्य

राजू महतो ‘राजूराज झारखण्डी’
धनबाद (झारखण्ड) 
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‘कोरोना’ एक विषाणु है जो एक मानव से दूसरे मानव में फैलता है। आज तक की महामारियों के इतिहास में जितने भी विषाणु जिम्मेवार हैं,उनमें यह सबसे भयावह एवं खतरनाक है। वर्तमान समय में इसका संक्रमण लगभग सभी देशों में हो चुका है। अर्थात कहा जा सकता है कि यह दानव इस समय सर्वव्यापी है। इसके संहार हेतु किसी दवा,देव का अवतरण नहीं हुआ है, फलस्वरूप इसका प्रसार खरपतवार की ही भांति दिन दूना-रात चौगुना हो रहा है।
कोरोना का जन्म स्थान चीन का वुहान शहर है। इसके जन्मदाता के विषय में अभी सटीक रूप से इस संसार को मालूम नहीं है। कुछ देशों का मानना है कि इसकी जन्मदाता स्वयं प्रकृति है,एवं कुछ के अनुसार इसके विनाशक माता-पिता चीन ही है। खैर, जो भी स्थिति हो बात तो सत्य है कि आज यह दानव विकराल रूप लेकर संपूर्ण मानव जाति को निगलने हेतु तैयार है। अतः,हमारे लिए यह जानना आवश्यक हो गया है कि आखिर इसका जन्म क्यों और किस उद्देश्य से हुआ होगा ?
इसके जन्म के कारण एवं उद्देश्य भी २ हो सकते हैं। पहला यदि इसकी जन्मदाता प्रकृति है,तो निश्चय ही इसके जन्म का कारण मानव द्वारा प्रकृति का दोहन ही है। आज मानव अपने स्वार्थ के लिए प्रकृति का नाश करने में तनिक भी नहीं हिचकता है। फलस्वरुप चारों ओर प्रदूषण ही प्रदूषण व्याप्त है। अतः शायद प्रकृति इस विषाणु के माध्यम से पुनः प्रकृति में संतुलन स्थापित करने का उद्देश्य सोच कर इन्हें बनाया हो। दूसरा,यदि इसका निर्माता चीन है तो निश्चय ही उसने इस विषाणु के माध्यम से विश्व के अन्य देशों के आर्थिक-सामाजिक एवं मानवीय स्थिति पर चोट करके स्वयं एक महाशक्ति बनने का प्रयास किया है। कारण एवं उद्देश्य जो भी हो,हम ‘वसुधैव कुटुंबकम’ का भाव रखने वाले भारतीय लोग हैं। हम निश्चय ही इस संकट से पार पाएंगे,एवं अन्य देशों को भी इससे बचाएंगे।
आइए,अब इस बात पर चर्चा करें कि यह कोरोना फैलता कैसे है एवं इसके लक्षण क्या हैं ? यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है। जब एक संक्रमित व्यक्ति छींकता खाँसता है तो हवा के माध्यम से यह नजदीक के व्यक्ति में प्रवेश कर जाता है। इसके अलावा संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आए वस्तुओं को छूने से भी यह अन्य व्यक्ति को संक्रमित कर देता है। इसके लक्षणों में प्रमुख सर्दी,शुष्क खांसी,बुखार एवं दर्द है। बीमारी की शंका होने पर अविलंब स्वास्थ्य केन्द्र चले जाना चाहिए।
कोरोना महामारी की रोकथाम के लिए आज सम्पूर्ण विश्व अपने अपने तरीके से कूद पड़े हैं। हमारे देश में भी अभी सम्पूर्ण तालाबंदी का दौर जारी है। इस बीमारी का अभी तक कोई दवा उपलब्ध नहीं होने के कारण सामाजिक और शारीरिक दूरी बनाए रखना ही एकमात्र बचाव का रास्ता है। इस ‘तालाबंदी’ में सभी लोगों को घर में रहना बाध्य किया गया है। केवल अतिआवश्यक कार्यों एवं पदार्थों का लेन-देन ही छूट के दायरे में है। इसे सफल बनाने के लिए हमारे जवान दिन-रात लगे हुए हैं। संक्रमित व्यक्ति के उपचार हेतु हमारे चिकित्सक बंधु अपने सुखों को छोड़ लगातार सेवा कार्य में लगे हैं। एक ओर जहां सभी लोग तालाबंदी में घर पर बंद हैं,वहीं हमारे दैनिक मजदूरी करने एवं दूर प्रदेशों में काम करने वाले मजदूरों की स्थिति अच्छी नहीं है। उन्हें सरकार द्वारा यथोचित सहायता दी जा रही है,साथ ही उन्हें घरों तक पहुंचाने के रास्ते भी ढूंढे जा रहे हैं। बहुत से लोग एवं स्वयंसेवी संगठन भी आज असहायों के आगे सहायता ले खड़े हो गए हैं।
करुणा महामारी से उत्पन्न इस विषम परिस्थिति में भी ऐसे कई लोग हैं,जो इसे गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। वे तालाबंदी के नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं। इन्हीं कारणों से संक्रमणों की संख्या लगातार बढ़ रहा है। इस विषम परिस्थिति में भी कई लोग ऐसे हैं जो राजनीति करने से बाज नहीं आते। ऐसे भी कई लोग देखे जा रहे हैं,जो प्रशासन के सामने तो मुँह पट्टी लगा लेते हैं एवं दूरी का भी पालन करते हैं परंतु जवान के जाते ही सभी नियमों को जेब में भर लेते हैं। वे सोचते हैं कि शासक को चकमा दे दिया, परन्तु वास्तव में ऐसे लोग खुद को धोखा दे रहे हैं।
इस महामारी में हमारा कर्तव्य बनता है कि हम अपनी सरकार का भरपूर सहयोग करें। हमारे सहयोग के बिना यह जंग नहीं जीती जा सकती। हमें यह भी चाहिए कि हमारे आस- पड़ोस के लोग,बड़े-बूढ़े एवं बच्चे,जो गलतियां करते हैं उन्हें भी समझाएं और सारे नियमों का पालन करवाएं। हमारे देश के सामने आर्थिक संकट की समस्या उत्पन्न होने जा रही है। अतः, इसके लिए हमें केवल स्वदेशी वस्तुएं ही खरीद कर एवं विदेशी का बहिष्कार कर कुछ योगदान दे सकते हैं। यथासंभव,हम अपनी सरकार का साथ देकर इस महामारी को यहां से दुम दबाकर भागने को मजबूर कर देंगे।

परिचय–साहित्यिक नाम `राजूराज झारखण्डी` से पहचाने जाने वाले राजू महतो का निवास झारखण्ड राज्य के जिला धनबाद स्थित गाँव- लोहापिटटी में हैl जन्मतारीख १० मई १९७६ और जन्म स्थान धनबाद हैl भाषा ज्ञान-हिन्दी का रखने वाले श्री महतो ने स्नातक सहित एलीमेंट्री एजुकेशन(डिप्लोमा)की शिक्षा प्राप्त की हैl साहित्य अलंकार की उपाधि भी हासिल हैl आपका कार्यक्षेत्र-नौकरी(विद्यालय में शिक्षक) हैl सामाजिक गतिविधि में आप सामान्य जनकल्याण के कार्य करते हैंl लेखन विधा-कविता एवं लेख हैl इनकी लेखनी का उद्देश्य-सामाजिक बुराइयों को दूर करने के साथ-साथ देशभक्ति भावना को विकसित करना हैl पसंदीदा हिन्दी लेखक-प्रेमचन्द जी हैंl विशेषज्ञता-पढ़ाना एवं कविता लिखना है। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-“हिंदी हमारे देश का एक अभिन्न अंग है। यह राष्ट्रभाषा के साथ-साथ हमारे देश में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। इसका विकास हमारे देश की एकता और अखंडता के लिए अति आवश्यक है।

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