डॉ.शैल चन्द्रा
धमतरी(छत्तीसगढ़)
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मिसेज भारती और उनका ८ साल का बेटा पिछले एक सप्ताह से `तालाबन्दी` के चलते घर पर बन्द थे। `कोरोना` विषाणु की महामारी के चलते पूरे देश में इक्कीस दिन की `तालाबन्दी` की गई थी। उनके पति व्यापार के सिलसिले में दिल्ली गए हुए थे,परंतु `तालाबन्दी` और कोरोना के संक्रमण को देखते हुए वहीं रुक गए थे। मिसेज भारती ने भी उन्हें जहाँ है,वहीं रहने को कह दिया था। घर पर वे अकेली रह गईं थीं।
आज अचानक उनके बेटे के पेट में दर्द होने लगा। घर पर उनकी नौकरानी,ड्राइवर और माली सभी कोरोना के चलते नहीं आ रहे थे। ऐसे में अकेले वे परेशान हो गईं। मोबाइल में उन्होंने अपने पारिवारिक चिकित्सक को फोन लगाया,पर ये क्या! उनके मोबाइल का रिचार्ज खत्म हो चुका था। अब वे किसी को फोन या संदेश भी नहीं कर पा रही थीं।
वे बैचन-सी बाहर दरवाजे से झांकने लगीं,पर ये तो पॉश कॉलोनी था जहाँ सामान्य दिनों में भी कोई घर से निकलना तो दूर झांकता भी नहीं था। यहां दूर-दूर तक कोई दिखाई नहीं देता था। सब अपने रहते हैं। किसी को किसी से यहां कोई मतलब नहीं रहता। आज इस
`तालाबन्दी` में भला कोई कैसे बाहर दिखाई देगा ? तभी उन्हें बाहर नालियों में ब्लीचिंग पाउडर का छिड़काव करता हुआ एक व्यक्ति दिखाई दिया,जो तत्परता के साथ अपना कर्तव्य इस महामारी में भी निभा रहा था। उनका बेटा जोर-जोर से रोने लगा। उन्होंने घबराकर उस सफाई कर्मचारी को आवाज़ दी। लगभग भागता हुआ सा वह सफाई कर्मचारी उनके पास पहुंचा और कहा-“क्या हुआ मेम साहब, आपको कोई प्रॉब्लम है क्या इस छिड़काव से ?”
मिसेज भारती ने आँखों मे आँसू भरकर कहा-“नहीं भाई,क्या बताऊँ ? इस समय मैं घर पर अकेली हूँ। मेरे बेटे के पेट में बहुत दर्द हो रहा है। वो दर्द के मारे रो रहा है। मोबाइल भी रिचार्ज नहीं है। किसी को न तो फोन कर पा रही हूँ,न संदेश। ऐसे में बेटे के लिए दवाई चाहिए। क्या तुम मेरी सहायता करोगे ?”
यह सुनकर सफाई कर्मचारी ने कहा-“हाँ मेम साहब,क्यों नहीं। यहां से कुछ दूर डॉक्टरों का दल निरीक्षण में आया हुआ है। उन्हें बुलाता हूँ।” कहता हुआ वह चला गया।
कुछ देर बाद एक डॉक्टर उनके दरवाजे पर खड़ी थीं। उन्होंने उनके बेटे को देखा,जरूरी दवाइयां दीl चिंता नहीं करने को कहा औऱ उनके मोबाइल में रिचार्ज भी करवा दिया।
वह सफाई कर्मचारी उनसे कह रहा था-“मेम साहब,और कोई काम हो तो मुझे बुला लीजिएगा। आप मेरा मोबाइल नम्बर रख लीजिए।”
मिसेज भारती सोचने लगीं। ऐसे सफाई कर्मचारी से वो हमेशा दूरी बना कर चलतीं थीं। इन छोटे लोगों से उस जैसे उच्च वर्ग के लोग कभी बात करना तो दूर,अपने आसपास उनको देखना भी पसंद नहीं करते थे। उसने आज इस मुसीबत में उसकी सहायता की। वे अब बड़ी कुतज्ञता से उस सफाई कर्मचारी का धन्यवाद कर रही थीं।
परिचय-डॉ.शैल चन्द्रा का जन्म १९६६ में ९ अक्टूम्बर को हुआ है। आपका निवास रावण भाठा नगरी(जिला-धमतरी, छतीसगढ़)में है। शिक्षा-एम.ए.,बी.एड., एम.फिल. एवं पी-एच.डी.(हिंदी) है।बड़ी उपलब्धि अब तक ५ किताबें प्रकाशित होना है। विभिन्न कहानी-काव्य संग्रह सहित राष्ट्रीय स्तर के पत्र-पत्रिकाओं में डॉ.चंद्रा की लघुकथा,कहानी व कविता का निरंतर प्रकाशन हुआ है। सम्मान एवं पुरस्कार में आपको लघु कथा संग्रह ‘विडम्बना’ तथा ‘घर और घोंसला’ के लिए कादम्बरी सम्मान मिला है तो राष्ट्रीय स्तर की लघुकथा प्रतियोगिता में सर्व प्रथम पुरस्कार भी प्राप्त किया है।सम्प्रति से आप प्राचार्य (शासकीय शाला,जिला धमतरी) पद पर कार्यरत हैं।