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‘मौत आई,बाँह थामी और उठा कर ले गई…’

महामारी ने प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ.कुंवर बेचैन को छीना

नई दिल्ली।

मशहूर कवि कुंवर बेचैन का गुरुवार को निधन हो गया है। वह ‘कोरोना’ संक्रमित हो गए थे।संक्रमित पाए जाने के बाद से ही दिल्ली के सूर्या अस्पताल में भर्ती पर सुधार नहीं होने पर डॉ. कुंवर बेचैन को कॉसमॉस अस्पताल में भर्ती किया गया था। साहित्य भूषण सम्मान सहित २ बार राष्ट्रपति से सम्मान लेने वाले डॉ कुंवर बेचैन का जाना
गीत-ग़ज़ल की दुनिया में बड़ा सूनापन कर गया है।
ग़ाज़ियाबाद में रहने वाले डॉ. बेचैन को कॉसमॉस अस्पताल में भर्ती किए जाने के बाद भी स्थिति में सुधार नहीं हो रहा था और गुरुवार को सबको अलविदा कह दिया। ‘राह में थक कर जहाँ बैठी अगर ये ज़िंदगी,मौत आई बाँह थामी और उठा कर ले गई..’ इस पंक्ति के रचयिता कुंवर बेचैन ही यूँ चले गए। उनको भी काल के क्रूर हाथों ने छीन लिया।

जीवन-

कुंवर बहादुर सक्सेना का जन्म-स्थान उप्र एवं तारीख १ जुलाई १९४२ है। २ माह की अवस्था में ही पिता का एवं ७ वर्ष की उम्र तक पहुँचते माँ का भी स्वर्गवास।देखने वाले श्री सक्सेना का बहनोई एवं बहिन द्वारा पालन किया गया,पर ९ वर्ष की उम्र पर बहिन का भी निधन होने से घर की चाबी खुद के हाथ आ गई। एम काम.,एम.ए.(हिन्दी) एवं पीएच-डी.(हिन्दी) शिक्षित डॉ. बेचैन हिन्दी विभाग में अध्यापन कराने के बाद हिन्दी-विभागाध्यक्ष पद से सेवानिवृत हुए।

लेखन-सम्मान

इन दिनों कवि सम्मेलन का इतिहास-लेखन का कार्य आपके द्वारा जारी (लगभग अठारह हजार पृष्ठों में )था। देश-विदेश की लगभग २५० संस्थाओं द्वारा सम्मानित श्री सक्सेना को उत्तर प्रदेश के हिन्दी संस्थान द्वारा ५० हजार का साहित्य भूषण सम्मान (अब २ लाख),हिन्दी गौरव सम्मान,मुंबई से परिवार पुरस्कार,कन्हैया लाल सेठिया सम्मान एवं अन्य सम्मान भी मिले। भारत के राष्ट्रपति ज्ञानी जेलसिंह एवं डॉ.शंकरदयाल शर्मा द्वारा राष्ट्रपति भवन में अभिनंदन भी किया गया। कविरत्न, गीत पुरुष,भारतश्री,राष्ट्रीय आत्मा पुरस्कार, कबीर पुरस्कार आदि भी आपको भेंट किए गए।
आपने अनेक विदेश-यात्राएं भी की तो विश्व हिन्दी सम्मेलन में भी भागीदारी रही।
आपकी रचनाएं(ग़ज़ल) इन्डोनेशिया के गायक अनिलकान्त-रीनाकान्त द्वारा गाई गईं,तो ‘ज़रा-सी धूप’ एल्बम अपनी ही ग़ज़लों के गायक के रूप में साज के साथ प्रस्तुत किया। इसके अलावा ‘कोख’ फ़िल्म में गीत( रवींद्र जैन का संगीत एवं हेमलता का गायन) सहित अन्य फिल्मों-टेलीविजन धारावाहिकों के लिए भी गीत-लेखन एवं अभिनय भी किया। आपने कई टी.वी. चैनल पर काव्य-पाठ भी किया।
डॉ. कुँअर बेचैन की रचनाओं पर दूरदर्शन, आकाशवाणी और यू-ट्यूब चैनलों पर अनेक गायक-गायकों द्वारा गायन किया गया। पिछले ६१ वर्षों से देश-विदेश के लगभग ५ हजार कवि सम्मेलनों में भागीदारी आपके नाम रही। सहित्यकार-कवि कुँअर बेचैन के साहित्य और निर्देशन में २२ शोधार्थियों को पर पीएच-डी. की उपाधि प्राप्त(डॉ. कुमार विश्वास तथा डॉ. प्रवीण शुक्ल जैसे प्रसिद्ध कवि) हुई है,तो आपकी कविताएं अनेक विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रमों में संकलित हैं।
लगभग ३७० पुस्तकों की भूमिकाएँ रचने वाले कुँअर बेचैन की ३५ पुस्तकें,९ गीत (पिन बहुत सारे,भीतर सांकल बाहर सांकल, उर्वशी हो तुम आदि)संग्रह,१६ हिन्दी ग़ज़ल संग्रह(शामियाने काँच के,महावर इंतज़ारों का) आदि है। इसके अलावा २कविता संग्रह एवं अन्य में दोहा संग्रह सहित १ महाकाव्य,२ उपन्यास आदि अनगिनत पुस्तकें हैं।
आपने ७ पुस्तकों समीक्षा भी की। आप कोयला मंत्रालय में हिंदी सलाहकार रहे।

मार्च में ही मिले थे…

बेहद सहज और सरल व्यवहार वाले डॉ. कुँवर बेचैन हिंदीभाषा डॉट कॉम की तीसरी वर्षगाँठ (स्थापना दिवस)पर गत माह ३ मार्च की दोपहर ई-गोष्ठी व सम्मान समारोह में हिंदीभाषा परिवार और रचनाकारों से मिले थे। इस ऑनलाइन माध्यम से जब उनकी उपस्थिति में ‘हिंदीशिल्पी सम्मान-२०२०’ से रचनाकारों को सम्मानित किया गया और विशेष अतिथि डॉ. बेचैन ने हिंदी पर चर्चा की तो मन के कई कोने खुल गए थे। ऐसे व्यक्ति का जाना साहित्य जगत की बड़ी क्षति है। पोर्टल के संस्थापक-सम्पादक अजय जैन ‘विकल्प’,सह-सम्पादक श्रीमती अर्चना जैन और डॉ. सोनाली नरगुंदे(विभागाध्यक्ष-पत्रकारिता अध्ययनशाला, देवी अहिल्या विवि,इंदौर एवं संयोजक सम्पादक-हिंदीभाषा डॉट कॉम)ने आपके निधन पर गहरा दुःख व्यक्त किया है।