सविता धर
नदिया(पश्चिम बंगाल)
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वसंत पंचमी स्पर्धा विशेष …..
लो आया ऋतुराज वसंत,संग है वसंत रानी,
सोल्लास हर्षित होकर धूप-दीप से सजाओ नैवेद्य की थाली।
मोर कूके पंचम स्वर में डाली-डाली,
विद्यालय और घर-घर में होगी अधिष्ठित वीणावादिनी शुभ्र वस्त्र धारिणी,
हंस वाहिनी जड़ता महारानी।
पंडालों मे होगा भजन-कीर्तन,
नर-नारी गाएंगे बजा-बजा ताली
मंच सजेंगे कहीं नृत्य तो,
कहीं होगी कव्वाली।
छतों,सड़कों और जहां भी मिले जगह दिखेंगे,
बालक,तरुणों के हाथों में पतंग की डोरी
आसमान छा जाएगा उनसे,
होगी रंगीन पतंगों की होड़ा-होड़ी।
बाग-बगीचे मे दिखेंगें गेंदा गुलाब चमेली,
कुसुमों का मधुपान करते-करते मधुपों की आँखें हो गई नशीली।
मन हुआ प्रफुल्लित,चारों ओर कैसी हरियाली,
किस चित्रकार ने तूलिका से प्रकृति को बनाया रंगीली॥