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दिल-ए-एहसास

विशाखा शर्मा ‘स्मृति’,
कानपुर नगर(उत्तर प्रदेश)
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काव्य संग्रह हम और तुम से


शोर मचाता रहता है दिल सनम तेरे प्यार में,
जोर से हँसता-खिलखिलाता है दिल तेरी याद में।

देख तेरी चंचल अदाएं मुस्कुराता है दिल तेरे इंतजार में,
बेखबर जांबाज बन यह दिल मरना चाहे तेरे प्यार में।

नज़दीक न हो तू पर होने का एहसास लिए तू आ जाए मेरे सपनों में,
चाहूं तुझे भर लूं बाँहों में या हो जाऊं तेरी गोद में।

छूले जो तू मुझे मेरा रोम-रोम तेरा ही होना चाहे ऐ दिल तेरे प्यार में,
करुँ बंद जो निगाहें तू ही तू नजर आए तू इन ख्वाबों में।

पंखुरी से तेरे होंठ देख दिल बहका जाए तेरे प्यार में,
चाहे तुझे ऐसे जैसे बिना नजदीक आते तेरा बदन तर हो जाए मेरे एहसास में।

तू जब-जब पुकारे मेरा नाम मैं खो जाऊं तेरी आवाज़ में,
न भूलूं तुझे,ना तू मुझे भुला पाए ऐसा एहसास हो प्यार में॥