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पर्यावरण संकट:सबसे बड़ी चुनौती

डॉ. स्वयंभू शलभ
रक्सौल (बिहार)

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ऑस्ट्रेलिया के जंगलों में लगी आग में झुलसकर करीब ५० करोड़ निरीह जानवरों की मौत हो चुकी है। इनमें स्तनधारी पशु, पक्षी और रेंगने वाले जीव सभी शामिल हैं। इनकी कितनी ही प्रजातियां अब समाप्त हो जाएंगी। तस्वीरें दिल को दहला देती हैं,दर्जनों लोग भी मारे गए हैं। कुआला की करीब आधी आबादी इस अग्निकांड की भेंट चढ़ चुकी है। जैव विविधता से भरा पृथ्वी का एक हरा-भरा भाग तबाह हो गया है। इस पर्यावरणीय आपदा की वजह से ऑस्ट्रेलिया में तापमान भी काफी बढ़ गया है।)
यह घटना इस सदी की सबसे बड़ी त्रासदी और सबसे बड़ी चुनौती है,किसी एक देश के लिए नहीं बल्कि पूरी दुनिया के लिए। अगर हम अपने जंगलों,पेड़ों और पशु-पंछियों को नहीं बचा पाए तो यह पृथ्वी बहुत जल्द इंसानों के रहने लायक जगह भी नहीं रह जाएगी।
यह आग कुछ दिन या कुछ समय बाद बुझ भी जाए तो भी कुछ जलते हुए सवाल हमारे सामने छोड़ जाएगी। अगर आप सुन सकते हैं तो सुनिए इन सवालों को,सुनिए उन करोड़ों जीवात्माओं और वृक्षों के उस दारुण चीत्कार को…।
पर्यावरण संकट से अब कोई अछूता नहीं है। इसे बचाने के लिए हम सबको,पूरी दुनिया को मिलकर पहल करना ही होगी।

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