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राष्ट्रपिता

शिखा सिंह ‘प्रज्ञा’
लखनऊ (उत्तरप्रदेश)
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महात्मा गांधी जयन्ती विशेष…..

संस्कृत भाषा के महात्मा
सादर नमन पूर्ण आत्मा,
मोहनदास करमचंद गांधी था जिनका नाम
जन्म लिया जिन्होंने २ अक्टूबर १८६९,
पोरबन्दर(गुजरात) में
माता थी जिनकी पुतलीबाई,
करमचंद जी थे जिनके पिताl
सुभाषचन्द्र बोस ने १९९४ में,
उन्हें नाम दिया राष्ट्रपिता…।

सत्य-अहिंसा का दिया सिद्धांत हमें
कस्तूरबा जी पत्नी बनकर रही,
जीवनभर साथ उनके
मानते थे वे सबका ईश्वर एक है,
कुरान,बाइबिल,जेंद-अवेस्ता
तालमुड या हो गीता,ज्ञान सभी में समान है,
कहा उन्होंने-ईश्वर ही सत्य का प्रेम स्वरूप है
खुद को उन्होंने ईसाई,मुस्लिम,बौद्ध,
और यहूदी कह कर भी सम्बोधित किया
लड़ी लड़ाई उन्होंने हर धर्म-जाति के लिए…।

सादगी की भी मूरत थे
साधारण जीवन को अपनाकर,
कहलाए हम सबके बापू वो
धोती वस्त्र रूप में धारण किए,
ऐनक पहना था आँखों पर
पैरों में थी खड़ाऊ उनकेl
लेकर हाथ में लाठी,
चल दिए वो राष्ट्र सेवा में…।

गांधी जी थे एक सफल लेखक भी
हरिजन,इंडियन ओपिनियन,
यंग नवजीवन आदि थी पत्रिका जिनकी
आदर्श स्वरूप है,
जिनकी किताबें हिन्द स्वराज
दक्षिण अफ्रीका के सत्याग्रह का इतिहासl
सत्य का प्रयोग,गीता माता,
है हमारी मार्गदर्शक…।

अफ्रीका की रंगभेद की नीति के
विरुद्ध उठाई थी आवाज़ उन्होंने,
विहार का नील सत्याग्रह,नमक सत्याग्रह
खेड़ा का किसान सत्याग्रह,चम्पारण,
आदि किया प्रमुख सत्याग्रह उन्होंने
ना डरते थे वो जेल जाने से,
डटकर किया सामना अंग्रेजों का
दी फिर चेतावनी उन्हें,
अंग्रेज भारत छोड़ो
भारतवासियों को भी दिया,
करो या मरो का नारा उन्होंने
सुनकर ललकार देशवासियों की,
घबरा गए सारे अंग्रेजl
चल ना पाई उनकी फूट डालो राज करो नीति,
भाग गए वो अपने देश…।

३० जनवरी १९४८ का था वो दुखद दिन
जब मारी गोली उन्हें नाथूराम गोडसे ने,
छोड़ गए वो अपना शरीर
करके हम सभी को अनाथ,
महान पुत्र की मृत्यु पर
रोया फिर पूरा देश,
नाम अमर गांधी है उनका
रहेंगे जग में वो सदा सर्वस्यl
हम सभी के मार्गदर्शक रहेंगे
उनके सारे अमृत वचनll

परिचय-शिखा सिंह का साहित्यिक उपनाम ‘प्रज्ञा’ है। लखनऊ में 27अक्टूबर १९९७ को जन्मी और वर्तमान में स्थाई रुप से लखनऊ स्थित चिनहट में बसेरा है। शिखा सिंह ‘प्रज्ञा’ को हिंदी,इंग्लिश व भोजपुरी भाषा का ज्ञान है। उत्तरप्रदेश निवासी शिखा सिंह ने इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियरिंग में डिप्लोमा एवं गणित में स्नातक की शिक्षा प्राप्त की है। आपकी रचनाएँ विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होना जारी है। कवियित्री के रूप में आप सामाजिक गतिविधियों में सक्रिय हैं। इनकी लेखन विधा-काव्य है। लेखन खाते में ‘उर्विल’ काव्य संग्रह है,तो सम्मान-पुरस्कार में प्रमाण-पत्र तथा अन्य मंच द्वारा सम्मान हैं। ये ब्लॉग पर भी काव्य क्षेत्र में निरन्तर तत्पर हैं। विशेष उपलब्धि-कला,नृत्य,लेखन ही है। आपकी लेखनी का उद्देश्य-स्वयं के व्यक्तित्व का उत्थान कवियित्री के रुप में करते हुए अपनी रचनाओं से लोगों को मनोरंजित-शिक्षित करना है। गुलज़ार को पसंदीदा हिन्दी लेखक मानने वाली ‘प्रज्ञा’ के लिए प्रेरणापुंज-महादेवी वर्मा हैं। इनकी विशेषज्ञता-काव्य है तो जीवन लक्ष्य-सफल व्यक्तित्व की प्राप्ति है। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-“हमारा देश निरन्तर एक समृद्ध देश के रुप में उभर रहा है,यह अत्यंत गर्व का विषय है,और इस दिशा में हमारी मातृभाषा हिन्दी का सर्वोपरि स्थान है,परन्तु आजकल हिंदी से ज्यादा अंग्रेजी भाषा को महत्व दिया जा रहा है, इसलिए हम सभी को अपनी भाषा के उत्थान के लिए सफल प्रयास करना होगा।

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