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विजय का ध्वज लहराएं यारों

अख्तर अली शाह `अनन्त`
नीमच (मध्यप्रदेश)

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बहुत जरूरी हो तो ही हम,
घर से बाहर जाएं यारों।
‘कोरोना’ को जीत,विजय का,
घर-घर ध्वज लहराएं यारों॥

कोरोना के लक्षण हों तो,
आइसोलेशन में हम जाएं।
शंका पर भी क्वारंटाइन,
में रक्खें सबको सुख पाएं॥
सोशल डिस्टेंसिंग अपनाकर,
कोरोना की चेन तोड़ दें।
महामारी घर तक न पहुंचे,
उससे पहले राह मोड़ दें॥
घर में खुद को बंद रखें तो,
झंझट से बच पाएं यारों।
कोरोना को जीत विजय का,
घर घर ध्वज लहराएं यारों…॥

शासन कितनी फिक्र कर रहा,
हम भी फिक्र तनिक तो पालें।
डण्डे खाकर क्यों खुश होते,
घर में रूखी-सूखी खा लें॥
रब कब किसको भूखा रखता,
क्यों विश्वास नहीं करते हम।
क्यों खुद को लेकर चिंतित हैं,
क्यों इतना आखिर डरते हम॥
करें भरोसा सरकारों पर,
नीति नियम अपनाएं यारों।
कोरोना को जीत विजय का,
घर घर ध्वज लहराएं यारों…॥

सामाजिक संबंध निभाएं,
दूरी कब अवरोध बनी है।
रिश्ते कच्चे धागे हैं क्या ?
मन में नाहक तनातनी है॥
समय घाव सब भर देता है,
फिर जीवन महकेंगे भाई।
पुलिस-डॉक्टर-नर्स हैं सेवक,
क्यों करते हम हाथापाई॥
‘अनंत’ अच्छे बनें नागरिक,
अपना फर्ज निभाएं यारों।
कोरोना को जीत विजय का,
घर-घर ध्वज लहराएं यारों…॥

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