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जहां अच्छे संस्कार,वहां जन्म लेता है अच्छा साहित्य

डाॅ. तिवारी की स्मृति में सम्मान समारोह

इंदौर(मप्र)।

जहां अच्छे संस्कार होते हैं,वहीं अच्छा साहित्य और स्वस्थ साहित्यिक परम्परा जन्म लेती है। शिक्षा और साहित्य में परम्परा का बहुत महत्व होता है। सच्चा साहित्यकार राष्ट्रीय अस्मिता,श्रेष्ठ परम्परा, मानवीय और नैतिक मूल्यों पर विश्वास करता है।
वरिष्ठ साहित्यकार डाॅ. मिथिलेश दीक्षित (लखनऊ) ने यह बात कही। वरिष्ठ शिक्षक और लेखक डाॅ. एस.एन. तिवारी स्मृति साहित्य सम्मान समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में आप बोल रही थीं। आभासी माध्यम से यह समारोह आयोजित किया गया। आपने कहा कि,साहित्य की वर्तमान स्थिति संतोषजनक तो है लेकिन बहुत श्रेष्ठ नहीं कही जा सकती। आज साहित्य में भीड़ अधिक है,पर स्तरीयता और गंभीरता कम दिखाई देती है।
संयोजक मुकेश तिवारी,सह संयोजक अविनाश अग्निहोत्री और गोविंद शर्मा ने बताया कि,समारोह में ११ रचनाकारों को सम्मानित किया गया। इसमें श्रीमती माया बदेका (उज्जैन),संतोष मोहंती (इंदौर),श्रीमती इंदु पाराशर (इंदौर),श्रीमती वीना सिंह (लखनऊ),श्रीमती मंजुला भूतड़ा (इंदौर), राम मूरत राही (इंदौर), डाॅ. दीपेंद्र शर्मा (धार),कारुलाल जमड़ा (जावरा),श्रीमती अंजलि गुप्ता सिफर (अंबाला),श्रीमती निधि जैन (इंदौर) और आशीष दलाल (वड़ोदरा) रहे। इंदौर के पांचों सम्मानित रचनाकारों के घर जाकर भी समिति की ओर से उन्हें सम्मानित किया गया। समारोह में वरिष्ठ पत्रकार मुकेश तिवारी (इंदौर) की तीसरी पुस्तक ‘उलझी-सी लड़की’ के आवरण पृष्ठ का विमोचन भी हुआ।
समारोह की अध्यक्षता विचार प्रवाह साहित्य मंच,इंदौर की अध्यक्ष श्रीमती सुषमा दुबे ने की। आपने कहा कि साहित्य ही व्यक्ति को निराशा की गर्त से उबारता है। विशेष अतिथि वरिष्ठ लेखिका श्रीमती अनघा जोगलेकर (गुड़गांव) ने साहित्य को ऐसा गुलदस्ता निरूपित किया,जिसकी विभिन्न विधाओं के रंग-बिरंगे फूल अपनी खुशबू से समाज को महकाते हैं। विशेष अतिथि वरिष्ठ पत्रकार गीत दीक्षित (भोपाल) ने युवा रचनाकारों से कहा कि कट-पेस्ट की प्रवृत्ति से बचें और कर्म निष्ठ,कर्तव्य निष्ठ बनें।
रचनाकारों की चयन समिति के सदस्य देवेन्द्र सिंह सिसौदिया ने चयन प्रक्रिया की जानकारी दी। डाॅ. पूजा मिश्रा ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत की। संचालन श्रीमती रश्मि चौधरी ने किया। आभार डाॅ. दीपा मनीष व्यास ने माना।

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