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ये तो सारा जहान है

डॉ. आशुतोष
गुरुग्राम(हरियाणा)
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घर-परिवार स्पर्धा विशेष……

अपने से ज्यादा प्यार करती हूँ अपने परिवार से,
कभी अलग न हों,हम अपने घर-बार से।

मेरे भाई-बहन हैं चार,
जीवन में कभी न हो इनकी हार।

हर जन्म में मांगूं,मैं इनका साथ,
सच हो जाए बस,ये मेरी बात।

मात-पिता का सिर,पर हमेशा हाथ रहे,
बस अपने परिवार का,सदा ही साथ रहे।

बस प्रेम की धारा,ये हमेशा बहती रहे,
ये जीवन-नैया,ऐसे ही चलती रहे।

परिवार से ही तो जीवन में खनक है,
खनक है तो जीवन में कनक है।

परिवार से ही तो जीवन की पहचान है,
शब्दों में बताने की बात नहीं,ये तो सारा जहान है।

परिवार से ही जीवन में आनंद है,
साथ में हैं सब,तो परमानन्द है॥