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बिना घर-परिवार के अधूरी है हर रीति

आरती जैन
डूंगरपुर (राजस्थान)
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घर-परिवार स्पर्धा विशेष……

बीस दिन से एक कमरे में बंद हैं,
उन्हें पूछो क्या है घर-परिवार
नहीं किसी का आज,
मेरे हाथों में हाथ है
दर्द में नहीं किसी,
का संग मेरे साथ है।
पैर दर्द होता है तब दीदी,
तेरी बहुत याद आती है
बालों को सवारती हूँ,
तब बा (नानी) तेरी याद सताती है।
माँ ममता की मूरत है,
कैसे संभालती है यह सब
मेरे और मेरे बेटे दोनों,
के लिए माँ तू बनी है रब।
भाई और भांजा दोनों,
दूर रहकर भी हँसाते हैं
दूर से भी खाना मुझे,
प्यार से खिलाते हैं।
कुछ दोस्त हैं जो हर,
रोज़ फोन पर पूछते हैं हाल
आज तन्हाई में प्यारे,
दोस्त बन गए हैं ढा़ल।
पतिदेव दूर से मोहब्बत,
का कर रहे हैं इज़हार
मेरे घर लौटने का वो,
बेसब्री से कर रहे इन्तजार।
सुना रही दोस्तों इस कोरोना,
काल में मुझ पर जो है बीती
बिना घर-परिवार के,
प्रेम की अधूरी है हर रीति।
बीस दिन से एक कमरे में बंद हैं,
उन्हें पूछो क्या है घर-परिवार…॥

परिचय : श्रीमती आरती जैन की जन्म तारीख २४ नवम्बर १९९० तथा जन्म स्थली उदयपुर (राजस्थान) हैL आपका निवास स्थान डूंगरपुर (राजस्थान) में हैL आरती जैन ने एम.ए. सहित बी.एड. की शिक्षा भी ली हैL आपकी दृष्टि में लेखन का उद्देश्य सामाजिक बुराई को दूर करना हैL आपको लेखन के लिए हाल ही में सम्मान प्राप्त हुआ हैL अंग्रेजी में लेखन करने वाली आरती जैन की रचनाएं कई दैनिक पत्र-पत्रिकाओं में लगातार छप रही हैंL आप ब्लॉग पर भी लिखती हैंL

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