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प्रेम की पीर के विलक्षण कवि हैं कबीर-प्रो. शर्मा

राष्ट्रीय वेब संगोष्ठी

उज्जैन(मप्र)।

कबीर प्रेम की पीर के विलक्षण कवि हैं। उन्होंने प्रेम तत्व को इस संसार के लिए परम आवश्यक माना है। वे लोक की पीड़ा से व्यथित थे,इसलिए उन्हें नींद कैसे आ सकती थी। प्रेम के व्यावहारिक और आध्यात्मिक मर्म को उन्होंने अपनी रचनाओं के माध्यम से अभिव्यक्ति दी है।
राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना(उज्जैन) द्वारा संत कवि कबीर जयंती के अवसर पर राष्ट्रीय वेब संगोष्ठी में यह बात प्रमुख अतिथि
प्रो. शैलेंद्र कुमार शर्मा ने कही। इस आयोजन में देश के विभिन्न राज्यों के अध्येताओं ने भाग लिया। विक्रम विश्वविद्यालय के
कुलानुशासक व हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो. शर्मा ने व्याख्यान में कहा कि,कबीर दास जी की रचनाएं लोक ग्राह्य रूपकों के माध्यम से प्रेम पंथ की चुनौतियों और महिमा को व्यक्त करती हैं। आज विश्व मानवता का उद्धार प्रेम की पीर के माध्यम से संभव है। संस्था अध्यक्ष डॉ. चौधरी ने बताया कि,संगोष्ठी की अध्यक्षता वरिष्ठ रचनाकार श्रीमती सुवर्णा जाधव(मुंबई) ने की। उन्होंने कहा कि कबीर अहिंसा प्रेमी और मानवतावादी कवि थे। आज के संकटकालीन दौर में उनके सन्देशों की आवश्यकता बढ़ती जा रही है। संगोष्ठी में डॉ.शहाबुद्दीन,नियाज मोहम्मद शेख,डॉ. प्रभु चौधरी,वरिष्ठ कवि राकेश छोकर,जितेंद्र पांडे आदि ने भी विचार व्यक्त किए।
आयोजन में दिल्ली के वरिष्ठ कवि डॉ. संजीव कुमारी,पुनीता कुमारी,डॉ. रूपाली चौधरी,डॉ. विवेक मिश्र,डॉ. मंजू रूस्तगी,डॉ. प्रवीण जोशी,संजीव पाटिल,श्रीमती दीपिका सुतोदिया,प्रभा बैरागी,डॉ. बलिराम धापसे, डॉ. जितेंद्र पाटिल,डॉ. श्वेता पंड्या एवं प्रियंका परस्ते आदि सहित अनेक राज्यों के शिक्षाविद,साहित्यकार और अध्येताओं ने भाग लिया।
प्रारंभ में स्वागत भाषण अध्यक्ष डॉ. चौधरी ने प्रस्तुत किया। संगोष्ठी का संचालन रागिनी शर्मा ने किया। आभार सुंदर लाल जोशी ने माना।

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