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नहीं रवैया बदला तो…

अमल श्रीवास्तव 
बिलासपुर(छत्तीसगढ़)

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चीन तुम्हारी दखलंदाजी,अब बर्दाश्त नहीं होगी,

षड्यंत्रों की घृणित चाल,बिलकुल भी सहन नहीं होगी।

एक बार तुमने पहले ही,कायरता दिखलाई थी,

पंचशील में मगन रहे हम,तुमने सेंध लगाई थी।

हम ठहरे भोले-भाले,निश्चिन्त हुए ही बैठे थे,

हिंदी-चीनी,भाई-भाई,इस नारे में ऐंठे थे।

पर तुमने गद्दारी कर,धोखे से हमला बोला था,

भाई-चारे की बगिया में,घोर हलाहल घोला था।

शासन भी उस समय हमारा,नौसिखिए हाथों में था,

कूटनीति,और युद्ध नीति का,नया-नया अनुभव भी था।

कुछ और हमारी थी कमजोरी,हम पूरे मुस्तैद न थे,

पंद्रह वर्ष की थी आजादी,अणु बमों से लैस न थे।

इसीलिए तुम खाल ओढ़कर,खुद को शेर समझ बैठे,

जगत गुरु इस भारत को,अपनी जागीर समझ बैठे।

मानसरोवर की घाटी,को तुमने हमसे छीन लिया,

डोकलाम में पाँव जमाकर,सिक्किम में घुसपैठ किया।

एक ओर तुम बाजारों में,नकली माल खपाते हो,

वहीं दूसरी तरफ सरहदों में,उत्पात मचाते हो।

मेरे हिंदुस्तान में भी,नादान लोग कुछ रहते हैं,

जो सस्ते के चक्कर में पड़,माल चाइना रखते हैं।

उनसे है अपील यह मेरी,मत ऐसा व्यापार करो,

अर्थ व्यवस्था से भारत की,मत ऐसा खिलवाड़ करो।

माल स्वदेशी,चाल स्वदेशी,भाव स्वदेशी,रख लो तुम,

जो भी मिलता रूखा-सूखा,उसे प्रेम से पा लो तुम।

भारत से हम,भारत हमसे,भारत ही अपना परिचय,

भारत की हैं सरगम हम,भारत ही अपना है सुर-लय।

धन्धा चौपट कर दो सारा,उस घटिया व्यापारी का,

अर्थ तंत्र का जाल काट दो,नकली कारोबारी का।

देख रहे हो वह बौना,इस भारत को ललकार रहा,

मानो जुगनू ताल ठोंककर,सूरज को फटकार रहा।

मोटी थैली की तुलना,करती झोली भिखमंगे की,

अभी चाँद पर जा पहुँचूँ,चाहत यह कीट-पतंगे की।

सुई नोक जैसी आँखें,हमको इस तरह दिखाता है,

मृग शावक नभ छूने को ज्यों,बड़ी छलांग लगाता है।

अब शासन में देशभक्त हैं,जिन्हें न कुर्सी की चिंता,

मातृभूमि की ही सेवा में,अब तक का जीवन बीता।

सेना को इस बार युद्ध में,पूरी आजादी होगी,

सोचो उस दिन क्या होगा फिर,कितनी बर्बादी होगी।

तोप,मिसाइल,बम,गरजेंगे,कितनी उथल-पुथल होगी,

हार-जीत,तो बाद में होगी,पहले महाप्रलय होगी।

समझाते हैं तुम्हें इसलिए,बात हमारी मानो तुम,

झगड़ा करना ठीक नहीं,खुद को यह बात बताओ तुम।

इतनी जिद,इतनी झुझलाहट,इतना लोभ नहीं अच्छा,

गीदड़ भभकी बंद करो,यह बैर-बिरोध नहीं अच्छा।

बुद्ध मार्ग के अनुयायी तुम,ओछी हरकत करते हो,

बने अहिंसा के पोषक तुम,खून-खराबा करते हो।

सही पड़ोसी बनकर के मानव का धर्म निभाओ तुम,

सुख-दुःख को हम मिलकर बाँटें,आगे हाथ बढ़ाओ तुम।

नहीं रवैया बदला तो,परिणाम भुगतना ही होगा,

बासठ से लेकर अब तक का,सब हिसाब चुकता होगा।

पिछली गलती कभी नहीं,आगे दुहराई जाएगी,

अब यदि सरहद पार की तो,सब हद मेटी जाएगी।

अवसर है चेतो,समझो,वरना अनर्थ हो जाएगा,

महाशक्तियों की गणना में,एक नाम कट जाएगा।

नहीं समझ पाए यदि तो,अंजाम भयानक ही होगा,

दिल्ली से लेकर बीजिंग तक,सिर्फ तिरंगा ही होगा॥

परिचय–रायपुर में बैंक में वरिष्ठ प्रबंधक के पद पर कार्यरत अमल श्रीवास्तव का वास्तविक नाम शिवशरण श्रीवास्तव हैl `अमल` इनका उपनाम है,जो साहित्यकार मित्रों ने दिया हैl अमल का जन्म म.प्र. के कटनी जिले के ग्राम करेला में हुआ हैl आपने गणित विषय से बी.एस-सी.की करके बैंक में नौकरी शुरू कीl ३ विषय (हिंदी,संस्कृत,राजनीति शास्त्र)में एम.ए. किया हैl रामायण विशारद की भी शिक्षा प्राप्त की है,तो पत्रकारिता एवं आलेख संरचना का प्रशिक्षण भी लिया हैl भारतीय संगीत में आपकी रूचि है,इसलिए संगीत में कनिष्ठ डिप्लोमा तथा ज्योतिष में भी डिप्लोमा प्राप्त किया हैl सेन्ट्रल बैंक ऑफ इंडिया में खजांची, सहायक प्रबंधक,प्रबंधक आदि पदों पर काम कर चुके श्री श्रीवास्तव का वर्तमान में एम.बी.ए. जारी है,जबकि पीएच.-डी. में स्वर्ण पदक प्राप्त किया है। शतरंज के उत्कृष्ट खिलाड़ी,वक्ता और कवि श्री श्रीवास्तव कवि सम्मलेनों-गोष्ठियो में भाग लेते रहते हैंl मंच संचालन में महारथी अमल जी की लेखन विधा-गद्य एवं पद्य हैl देश के नामी पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएँ प्रकाशित होती रही हैंl रचनाओं का प्रसारण आकाशवाणी केन्द्रों से भी हो चुका हैl विभिन्न धार्मिक,सामाजिक,साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्थाओं से जुड़े होकर प्रांतीय पदाधिकारी भी हैंl गायत्री परिवार से भी जुड़े होकर कई प्रतियोगिताओं में भाग लेकर पुरस्कृत होते रहे हैंl महत्वपूर्ण उपलब्धि आपके प्रथम काव्य संकलन ‘अंगारों की चुनौती’ का म. प्र. हिंदी साहित्य सम्मलेन द्वारा प्रकाशन एवं तत्कालीन मुख्यमंत्री सुन्दरलाल पटवा द्वारा उसका विमोचन सहित राज्यपाल दिनेश नंदन सहाय द्वारा सम्मानित किया जाना हैl

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