कुल पृष्ठ दर्शन : 267

कृष्ण कन्हैया

डॉ. आशा गुप्ता ‘श्रेया’
जमशेदपुर (झारखण्ड)
*******************************************

जन्माष्टमी विशेष……..

हे मधुसुदन हे कान्हा हे साँवरे,
तुम्हरी छवि पे जनजन मोहित
नुपूर सुनहरे लुभावे मनके जड़े,
पीताम्बर वसन सुशोभित प्यारी
जन्म लियो मुस्काये हितकारी,
कृष्णा कन्हैया मोहन गिरधारी।

तुम्हरी बाँसुरी मधुर तान लय,
अद्भुत प्रेम रस से मोहित करते
धुन सुन हुई राधा प्यारी बावरी,
प्रकृति के हर जड़-चेतन तुम्हीं
हरि तुम हो गोपाल गोविंद मुरारी,
कृष्णा कन्हैया मोहन गिरधारी।

संकट के हो प्रभु धीरज धरैया,
कान्हा तुम हो दु:ख के हरैैया
बाल लीला अनुपम कर लुभाते,
माखन चोर तोडे़ छींका मुस्काये
गैया चरावे कालिक पे है नाचे,
कृष्ण कन्हैया मोहन गिरधारी।

लज्जा राखे नारी द्रौपदी सखा,
सुदर्शन रूप दिखाया रण ऐसा
अर्जुन के भाग्य प्रभु बने सारथी,
कर्म योग गीता सार धर्म अमर
हेमुकुन्दं माधव गोविन्द बनवारी,
कृष्णा कन्हैया मोहन गिरधारी।

मीरा ने विष पिया हुआ सुधामय,
संसार भरा दु:ख-सुख है लेखा
प्रेमरस पावन हो हृदय आनंदित,
मैं दीन शरण की हूँ नित प्यासी।
सुनो पुकार हे चितचोर कन्हाई,
कृष्ण कन्हैया मोहन गिरधारी॥

परिचय- डॉ.आशा गुप्ता का लेखन में उपनाम-श्रेया है। आपकी जन्म तिथि २४ जून तथा जन्म स्थान-अहमदनगर (महाराष्ट्र)है। पितृ स्थान वाशिंदा-वाराणसी(उत्तर प्रदेश) है। वर्तमान में आप जमशेदपुर (झारखण्ड) में निवासरत हैं। डॉ.आशा की शिक्षा-एमबीबीएस,डीजीओ सहित डी फैमिली मेडिसिन एवं एफआईपीएस है। सम्प्रति से आप स्त्री रोग विशेषज्ञ होकर जमशेदपुर के अस्पताल में कार्यरत हैं। चिकित्सकीय पेशे के जरिए सामाजिक सेवा तो लेखनी द्वारा साहित्यिक सेवा में सक्रिय हैं। आप हिंदी,अंग्रेजी व भोजपुरी में भी काव्य,लघुकथा,स्वास्थ्य संबंधी लेख,संस्मरण लिखती हैं तो कथक नृत्य के अलावा संगीत में भी रुचि है। हिंदी,भोजपुरी और अंग्रेजी भाषा की अनुभवी डॉ.गुप्ता का काव्य संकलन-‘आशा की किरण’ और ‘आशा का आकाश’ प्रकाशित हो चुका है। ऐसे ही विभिन्न काव्य संकलनों और राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं में भी लेख-कविताओं का लगातार प्रकाशन हुआ है। आप भारत-अमेरिका में कई साहित्यिक संस्थाओं से सम्बद्ध होकर पदाधिकारी तथा कई चिकित्सा संस्थानों की व्यावसायिक सदस्य भी हैं। ब्लॉग पर भी अपने भाव व्यक्त करने वाली श्रेया को प्रथम अप्रवासी सम्मलेन(मॉरीशस)में मॉरीशस के प्रधानमंत्री द्वारा सम्मान,भाषाई सौहार्द सम्मान (बर्मिंघम),साहित्य गौरव व हिंदी गौरव सम्मान(न्यूयार्क) सहित विद्योत्मा सम्मान(अ.भा. कवियित्री सम्मेलन)तथा ‘कविरत्न’ उपाधि (विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ) प्रमुख रुप से प्राप्त हैं। मॉरीशस ब्रॉड कॉरपोरेशन द्वारा आपकी रचना का प्रसारण किया गया है। विभिन्न मंचों पर काव्य पाठ में भी आप सक्रिय हैं। लेखन के उद्देश्य पर आपका मानना है कि-मातृभाषा हिंदी हृदय में वास करती है,इसलिए लोगों से जुड़ने-समझने के लिए हिंदी उत्तम माध्यम है। बालपन से ही प्रसिद्ध कवि-कवियित्रियों- साहित्यकारों को देखने-सुनने का सौभाग्य मिला तो समझा कि शब्दों में बहुत ही शक्ति होती है। अपनी भावनाओं व सोच को शब्दों में पिरोकर आत्मिक सुख तो पाना है ही,पर हमारी मातृभाषा व संस्कृति से विदेशी भी आकर्षित होते हैं,इसलिए मातृभाषा की गरिमा देश-विदेश में सुगंध फैलाए,यह कामना भी है

Leave a Reply