बाबूलाल शर्मा
सिकंदरा(राजस्थान)
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दुर्लभ मानव देह जन,सुनते कहते बोल।
मानवता हित ‘विज्ञ’ हो,जीवन है अनमोल॥
धरा जीव मय मात्र ग्रह,पढ़े यही भूगोल।
सीख ‘विज्ञ’ विज्ञान लो,जीवन है अनमोल॥
मानव में क्षमता बहुत,हिय दृग देखो खोल।
व्यर्थ ‘विज्ञ’ खोएँ नहीं,जीवन है अनमोल॥
मस्तक ‘विज्ञ’ विचित्र है,नर निजमोल सतोल।
खोल अनोखे ज्ञान पट,जीवन है अनमोल॥
‘विज्ञ’ सत्य ही बोलिए,वाणी में मधु घोल।
जन हितकारी सोच रख,जीवन है अनमोल॥
थिर रख ‘विज्ञ’ विचार को,वायुवेग मत डोल।
शोध सत्य निष्कर्ष ले,जीवन है अनमोल॥
‘विज्ञ’ होड़ मन भाव से,रण के बजते ढोल।
समरस हो उपकार कर,जीवन है अनमोल॥
कठिन परीक्षा है मनुज,खेल समझ मत पोल।
सजग ‘विज्ञ’ कर्तव्य पथ,जीवन है अनमोल॥
कर्तव्यी अधिकार ले,करिए कर्म किलोल।
देश हितैषी ‘विज्ञ’ बन,जीवन है अनमोल॥
दीन हीन दिव्यांग की,कर मत ‘विज्ञ’ ठिठोल।
सबको शुभ सम्मान दो,जीवन है अनमोल॥
‘विज्ञ’ छंद दोहे ग़ज़ल,शब्दों की रमझोल।
शर्मा बाबू लाल यह,जीवन है अनमोल॥
परिचय : बाबूलाल शर्मा का साहित्यिक उपनाम-बौहरा हैl आपकी जन्मतिथि-१ मई १९६९ तथा जन्म स्थान-सिकन्दरा (दौसा) हैl वर्तमान में सिकन्दरा में ही आपका आशियाना हैl राजस्थान राज्य के सिकन्दरा शहर से रिश्ता रखने वाले श्री शर्मा की शिक्षा-एम.ए. और बी.एड. हैl आपका कार्यक्षेत्र-अध्यापन(राजकीय सेवा) का हैl सामाजिक क्षेत्र में आप `बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ` अभियान एवं सामाजिक सुधार के लिए सक्रिय रहते हैंl लेखन विधा में कविता,कहानी तथा उपन्यास लिखते हैंl शिक्षा एवं साक्षरता के क्षेत्र में आपको पुरस्कृत किया गया हैl आपकी नजर में लेखन का उद्देश्य-विद्यार्थी-बेटियों के हितार्थ,हिन्दी सेवा एवं स्वान्तः सुखायः हैl