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नव भारत

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’
रावतसर(राजस्थान) 
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आओ मिलकर सृजन करें हम,
नव भारत निर्माण करें हमl
जो सोए हैं आँखें खोलें,
उन आँखों में स्वप्न भरें हमll
नव भारत…

राहों में बाधाएं होंगी,
वो बाधाएं दूर करें हमl
शूल बिछाते जो राहों में,
उन सबका प्रतिकार करें हमll
नव भारत…

रहे अग्रणी भारत अपना,
सबने देखा एक ही सपनाl
शिक्षित स्वच्छ बनायें भारत,
सपना यह साकार करें हमll
नव भारत…

बढ़ते जाएँ हम राहों पर,
या चलना हो अंगारों परl
रहे हौंसला हममें कायम,
नहीं किसी से कभी डरें हमll
नव भारत…

सब कुरीतियां दूर हटायें,
निर्बल को हम गले लगाएँl
छूत-अछूत का भेद मिटा कर,
सबको एकाकार करें हमll
नव भारत…

राम-रहीम एक हो जाएँ,
ईद दिवाली साथ मनाएँl
कितना सुंदर है यह सपना,
मन के दूर विकार करें हमll
नव भारत…

हो अजान चाहे मस्जिद में,
मंदिर में घड़ियाल बजे होंl
अल्लाह हो अकबर संग में,
हर हर शंभू नाद करें हमll
नव भारत…

कोई नहीं दुश्मन हो अपना,
पूरा हो जाए यदि सपनाl
स्वर्ग बने यह भारतमाता,
उससे यही पुकार करें हमl

आओ मिलकर सृजन करें हम,
नव भारत निर्माण करें हमll

परिचय-शंकरलाल जांगिड़ का लेखन क्षेत्र में उपनाम-शंकर दादाजी है। आपकी जन्मतिथि-२६ फरवरी १९४३ एवं जन्म स्थान-फतेहपुर शेखावटी (सीकर,राजस्थान) है। वर्तमान में रावतसर (जिला हनुमानगढ़)में बसेरा है,जो स्थाई पता है। आपकी शिक्षा सिद्धांत सरोज,सिद्धांत रत्न,संस्कृत प्रवेशिका(जिसमें १० वीं का पाठ्यक्रम था)है। शंकर दादाजी की २ किताबों में १०-१५ रचनाएँ छपी हैं। इनका कार्यक्षेत्र कलकत्ता में नौकरी थी,अब सेवानिवृत्त हैं। श्री जांगिड़ की लेखन विधा कविता, गीत, ग़ज़ल,छंद,दोहे आदि है। आपकी लेखनी का उद्देश्य-लेखन का शौक है।

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