कुल पृष्ठ दर्शन : 234

You are currently viewing नई तरह की होलियाँ…

नई तरह की होलियाँ…

ममता तिवारी
जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)
**************************************

फागुन संग-जीवन रंग (होली) स्पर्धा विशेष…

रचना शिल्प:मात्रा भार क्रमश पँक्ति- २२-२०-१८-१६-१४-१२-१०….

जीन्स जेब में ठूंस-ठूस गुलाल रखी,
रंग रंगने छू कर छकाती ज्यादा
ठुमके नहीं,वो ठसके दिखाती,
भीगती कम भगाती ज्यादा
गुजरिया है ना गोरियाँ,
मोहल्ले की छोरियाँ
गुड़ भरी बोरियाँ।

भंगिया घुटे छने बिना ही भगदड़ है,
मस्तियायी होलियारी हुल्लड़ है
ढोल नगाड़े बजे न हड़बड़ है,
डीजे की धम-धम बढ़ कर है
लहंगे है ना चोलियाँ,
गलियों घूमे टोलियाँ
गुजिया दरोरिया।

लकड़ी-कंडे नहीं तो कचरे जलाये,
एलर्जी डर लोग रंगने घबराये
केमिकल गुब्बारे ले दौड़ाये,
टेशू तो नजर नहीं आये
हुए नई तरह होलियाँ।
है न गंदी बोलियां,
रँगभरी झोलियाँ॥

परिचय-ममता तिवारी का जन्म १अक्टूबर १९६८ को हुआ है। वर्तमान में आप छत्तीसगढ़ स्थित बी.डी. महन्त उपनगर (जिला जांजगीर-चाम्पा)में निवासरत हैं। हिन्दी भाषा का ज्ञान रखने वाली श्रीमती तिवारी एम.ए. तक शिक्षित होकर समाज में जिलाध्यक्ष हैं। इनकी लेखन विधा-काव्य(कविता ,छंद,ग़ज़ल) है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं प्रकाशित हैं। पुरस्कार की बात की जाए तो प्रांतीय समाज सम्मेलन में सम्मान,ऑनलाइन स्पर्धाओं में प्रशस्ति-पत्र आदि हासिल किए हैं। ममता तिवारी की लेखनी का उद्देश्य अपने समय का सदुपयोग और लेखन शौक को पूरा करना है।

Leave a Reply