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फागुन लाया प्यार की सौगात

शिवेन्द्र मिश्र ‘शिव’
लखीमपुर खीरी(उप्र)
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फागुन संग-जीवन रंग (होली) स्पर्धा विशेष…

आधुनिकता में मस्त हैं,सब नर-नारी संत।
अन्तर्मन पतझड़ हुआ,दिखला रहे बसंत॥

देखो कैसी हो गयी,लोकतंत्र की रीति।
सिर्फ चुनावी रंग में,करते ‘शिव’ से प्रीति॥

आया मौसम फाग का,मन में उठी उमंग।
भूल पुरानी रंजिशे, ‘शिव’ मिल खेले रंग॥

फागुन आया झूमकर,जिसकी धूम अनंत,
देखो ‘शिव’ भी मचलते,जिन्हें कहें सब संत॥

फागुन में बस दीखता,होली का हुड़दंग।
मर्यादा सब भूलकर,बाल-वृद्ध ‘शिव’ संग॥

देखो! बाबा को चढा़,यौवन का है जोश।
दादी को दौडा़ रहे,हाथ रंग,खो होश॥

बहके-बहके सब यहां,चढा़ फाग का रंग।
बूढे़,बच्चे और युवा, सबका बदला ढंग॥

जब से भाभी ने रंगा,मुख ‘शिव’ लाल गुलाब।
धूम उठा है मन मेरा,लगता जैसे यह ख्वाब॥

देख सखी करने लगी,बहकी-बहकी बात।
फागुन लाया है प्रिये,प्यार की ‘शिव’ सौगात॥

परिचय- शिवेन्द्र मिश्र का साहित्यिक उपनाम ‘शिव’ है। १० अप्रैल १९८९ को सीतापुर(उप्र)में जन्मे शिवेन्द्र मिश्र का स्थाई व वर्तमान बसेरा मैगलगंज (खीरी,उप्र)में है। इन्हें हिन्दी व अंग्रेजी भाषा का ज्ञान है। जिला-लखीमपुर खीरी निवासी शिवेन्द्र मिश्र ने परास्नातक (हिन्दी व अंग्रेजी साहित्य) तथा शिक्षा निष्णात् (एम.एड.)की पढ़ाई की है,इसलिए कार्यक्षेत्र-अध्यापक(निजी विद्यालय)का है। आपकी लेखन विधा-मुक्तक,दोहा व कुंडलिया है। इनकी रचनाएँ ५ सांझा संकलन(काव्य दर्पण,ज्ञान का प्रतीक व नई काव्यधारा आदि) में प्रकाशित हुई है। इसी तरह दैनिक समाचार पत्र व विभिन्न पत्रिकाओं में भी प्रकाशित हैं। प्राप्त सम्मान-पुरस्कार देखें तो विशिष्ट रचना सम्मान,श्रेष्ठ दोहाकार सम्मान विशेष रुप से मिले हैं। श्री मिश्र की लेखनी का उद्देश्य-हिंदी भाषा की सेवा करना है। आप पसंदीदा हिन्दी लेखक कुंडलियाकार श्री ठकुरैला व कुमार विश्वास को मानते हैं,जबकि कई श्रेष्ठ रचनाकारों को पढ़ कर सीखने का प्रयास करते हैं। विशेषज्ञता-दोहा और कुंडलिया केA अल्प ज्ञान की है। देश और हिंदी भाषा के प्रति विचार (दोहा)-
‘हिन्दी मानस में बसी,हिन्दी से ही मान।
हिन्दी भाषा प्रेम की,हिन्दी से पहचान॥’

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