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नीर जरूर बचाएँ

बाबूलाल शर्मा
सिकंदरा(राजस्थान)
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(रचना शिल्प:३२वर्ण (८८८८) प्रतिचरण,१६,१६ वर्ण पर यति चार चरण समतुकांत,चलणांत २२ गुरु गुरु)
वर्षा का नीर सहेजें
संदेश सभी को भेजें,
पुनर्भरण कर लो
व्यर्थ न नीर बहाएँ।

पेड़ लगाओ सब ही
मेड़ बनाओ तब ही,
खेत-खेत जल कुंडे
घर भी कुंड बनाएँ।

कूप बावड़ी पोखर
भरे नीर वर्षा पर,
हर पथ कुण्ड बना,
बूंद-बूंद जल लाएँ।

बाग-बगीची घर की
अपनी हो या पर की,
वर्षा जल कुण्ड बना
नीर जरूर बचाएँ।

परिचय : बाबूलाल शर्मा का साहित्यिक उपनाम-बौहरा हैl आपकी जन्मतिथि-१ मई १९६९ तथा जन्म स्थान-सिकन्दरा (दौसा) हैl वर्तमान में सिकन्दरा में ही आपका आशियाना हैl राजस्थान राज्य के सिकन्दरा शहर से रिश्ता रखने वाले श्री शर्मा की शिक्षा-एम.ए. और बी.एड. हैl आपका कार्यक्षेत्र-अध्यापन(राजकीय सेवा) का हैl सामाजिक क्षेत्र में आप `बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ` अभियान एवं सामाजिक सुधार के लिए सक्रिय रहते हैंl लेखन विधा में कविता,कहानी तथा उपन्यास लिखते हैंl शिक्षा एवं साक्षरता के क्षेत्र में आपको पुरस्कृत किया गया हैl आपकी नजर में लेखन का उद्देश्य-विद्यार्थी-बेटियों के हितार्थ,हिन्दी सेवा एवं स्वान्तः सुखायः हैl