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सकारात्मक सोच के माने

अख्तर अली शाह `अनन्त`
नीमच (मध्यप्रदेश)

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सकारात्मक सोच के माने,
अच्छाई हर बात में जानें।
परम पिता के किये ईशारे,
की गहराई को पहचानेंll

सकारात्मक सोच जहन में,
अगर बो दिया जाता लोगों।
शजर वही जब बन जाता है,
मीठे फल खिलवाता लोगोंll
एक दूसरे पहलू को भी,
देखें हम तो बनें सयानें।
परम पिता के किये इशारे,
की गहराई को पहचानें….

जैसा सोच आचरण वैसा,
बनता है क्या नहीं जानते।
डरने वाले हरा किसी को,
देंगे ऐसा कौन मानतेll
धैर्य रखें जो कब जाते हैं,
कूड़े-करकट से टकराने।
परम पिता के लिये इशारे,
की गहराई को पहचानें…ll

नकारात्मक सोच अंधेरे,
में ढकेलने वाला होता।
उलझी गुत्थी सुलझाने में,
रोता रहता है इकलौताll
जर-जमीन से धोना पड़ते,
हाथ कहें ये लोग पुराने।
परम पिता के किये इशारे,
की गहराई को पहचानें…ll

अगर लगे ठोकर तो समझो,
अवसर कोई अन्य बुलाए।
विपदा को मत मानो विपदा,
सदा चुनौती शक्ति बढ़ाएll
साहस रखा अगर टिकने को,
मिल जाएंगे कई ठिकाने।
परम पिता के किये इशारे,
की गहराई को पहचानेंll

सकारात्मक सोच अनंत,
ईश्वर की सौगात मानिए।
नकारात्मक सोच नहीं कुछ,
बस शैतानी हाथ मानिएll
ईश्वर को हम मित्र बनाएं,
गर हमको शैतान भगाने।
परम पिता के किये इशारे,
की गहराई को पहचानें…ll

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