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इतिहास को ईमानदारी से परोसती फ़िल्म `पानीपत`

इदरीस खत्री
इंदौर(मध्यप्रदेश)
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`पानीपत` इतिहास को ईमानदारी से परोसती फ़िल्म है,जिसके निर्देशक-आशुतोष गोवारिकर तथा अदाकार-संजय दत्त,अर्जुन कपूर,कीर्ति सेनन,पद्मिनी कोल्हापुरे व मोहनीश बहल हैंl संगीत-अजय अतुल का तथा कला-नितिन देसाई की हैl 
#कहानी
यह फिल्म १४ जनवरी १४६१ को मराठों और अफगान बादशाह एहमद शाह अब्दाली के मध्य हुए `पानीपत` के तीसरे युद्ध की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर हैl इधर,सदाशिव राव के मध्य हुए केवल युद्ध नहीं,युद्ध नीति-रीति,कूटनीति,रणनीति-परिवार देश के उस समय के समसामयिक परिदृश्य को ईमानदारी से आशुतोष ने परोसा हैl फ़िल्म का अंत जानते-बूझते दर्शक के तौर पर यह ख्याल आता कि काश ये बदल जाए ? यह ख्याल आना एक निर्देशक की सफलता की बानगी कहता हैl  
#अदाकारी
संजय दत्त ने अपने व्यक्तित्व से अब्दाली को खूंखार दिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ीl पूरी ईमानदारी से किरदार निभाया हैl अर्जुन कपूर से उम्मीद कम ही थी,लेकिन वह इस फ़िल्म के लिए जाने जाएंगेl कीर्ति सेनन सटीक और स्थिर काम कर गईl मोहनीश बहल,मन्त्रा,पद्मिनी,नवाब शाह,गशमिर,रविन्द्र और केमियो किरदार ज़ीनत अमान सभी ने अपने किरदारों से न्याय कियाl  
#बजट
लगभग ९० करोड़ (७०+२० करोड़)के बजट में फ़िल्म प्रदर्शन को तैयार हैl सेटेलाइट अधिकार ५० करोड़,डिजिटल अधिकार ३० करोड़,संगीत अधिकार ९  करोड़ में पहले ही बिक चुके हैंl फ़िल्म को २००० से २५००० पर्दों पर भारत में प्रदर्शित किया जा रहा है,जिससे  ९-१२ करोड़ की शुरुआत आ सकती हैl  
#गीत-संगीत
२ गाने `मर्द मराठा` और `शिवा शिवाय` कर्णप्रिय के साथ ही शक्ति का संचार करने में कामयाब होते हैं,तो बेकग्राउंड संगीत भी सटीक लगता हैl 
#कला निर्देशन
फ़िल्म के सेट कमाल के लगाए गए हैंl यह काम नितिन देसाई ने किया,जो मन को मोह लेता हैl आशुतोष ने किसी भी फ्रेम को जाया नहीं होने दिया हैl 
#फिल्मांकन
मुरलीधरन का फिल्मांकन दृश्य-दर-दृश्य फ़िल्म को बांधते चला जाता है,जो निर्देशक की ईमानदारी और मेहनत का परिचायक हैl 
#सम्पादन
फ़िल्म का दूसरा भाग छोटा किया जा सकता थाl `वीएफएक्स` के काम में कमज़ोरी स्पष्ट दिखती है,खास कर नदी वाले दृश्य मेंl 
#वेषभूषा
नीता लुल्ला ने मराठा साम्राज्य और संस्कृति को ईमानदारी से परोस दिया,वेषभूषा आकर्षित करती हैl 
#छोटी चर्चा
फ़िल्म का अंत हमारे इतिहास में दर्ज है,और हमसे वाबस्ता है कि अंत क्या होने वाला हैl फिर भी मन में एक ख्याल रह-रह कर आता है कि,काश नकारात्मक की जगह सकारात्मक अंत हो जाएl बस यही ख्याल इस फ़िल्म को सफल बनाने के लिए बहुत हैl सदाशिव भाऊ का धरती प्रेम `बाजीराव मस्तान` के प्रेम से ज्यादा उत्कृष्ट लगा,जो मातृभूमि प्रेम है,जो सर्वश्रेष्ठ और सबसे अफ़ज़ल माना जाएगाl आशुतोष ने पहले `लगान,जोधा अकबर` जैसी सफल पीरियड फिल्मों पर काम किया है,तो वह दर्शकों की नब्ज जानते हैं,जिसमें वह यहां भी कामयाब होते दिखे हैंl इस फ़िल्म के सामने `पति, पत्नी और वो` फ़िल्म भी प्रदर्शित हुई हैl `पानीपत` फिल्म को ३ सितारे देना उचित होगाl 
परिचय : इंदौर शहर के अभिनय जगत में १९९३ से सतत रंगकर्म में इदरीस खत्री सक्रिय हैं,इसलिए किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। परिचय यही है कि,इन्होंने लगभग १३० नाटक और १००० से ज्यादा शो में काम किया है। देअविवि के नाट्य दल को बतौर निर्देशक ११ बार राष्ट्रीय प्रतिनिधित्व नाट्य निर्देशक के रूप में देने के साथ ही लगभग ३५ कार्यशालाएं,१० लघु फिल्म और ३ हिन्दी फीचर फिल्म भी इनके खाते में है। आपने एलएलएम सहित एमबीए भी किया है। आप इसी शहर में ही रहकर अभिनय अकादमी संचालित करते हैं,जहाँ प्रशिक्षण देते हैं। करीब दस साल से एक नाट्य समूह में मुम्बई,गोवा और इंदौर में अभिनय अकादमी में लगातार अभिनय प्रशिक्षण दे रहे श्री खत्री धारावाहिकों और फिल्म लेखन में सतत कार्यरत हैं। फिलहाल श्री खत्री मुम्बई के एक प्रोडक्शन हाउस में अभिनय प्रशिक्षक हैंl आप टीवी धारावाहिकों तथा फ़िल्म लेखन में सक्रिय हैंl १९ लघु फिल्मों में अभिनय कर चुके श्री खत्री का निवास इसी शहर में हैl आप वर्तमान में एक दैनिक समाचार-पत्र एवं पोर्टल में फ़िल्म सम्पादक के रूप में कार्यरत हैंl

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