कुल पृष्ठ दर्शन : 241

You are currently viewing प्रेम की पाती

प्रेम की पाती

डॉ.एन.के. सेठी
बांदीकुई (राजस्थान)

**********************************************************************

रक्षाबंधन पर्व विशेष………..

भाई को बहना लिखती है,
एक प्रेम की पाती।
इस कोरोना काल में भैया,
याद आपकी आतीll

उत्सव और त्यौहार भी अब,
लगते सारे फीके।
इस कोरोना के संकट से
हम भी तो कुछ सीखेंll

इस रक्षाबंधन पर भैया,
इक राखी ले लेना।
यह रेशम की डोरी भाई,
बांध कलाई लेनाll

अब घर में रहकर ही भैया,
पर्व मनाना होगा।
इस कोरोना के संकट में,
जान बचाना होगाll

दुश्मन मानवता का है यह,
इससे ना घबराना।
सामाजिक दूरी रखकर ही,
इस पर है जय पानाll

इसीलिए रक्षाबंधन को,
घर पर वहीं मनाएं।
इक निश्चित दूरी पर रह के,
सब मिल इसे हराएंll

भैया सब लोगों की मुझको,
याद बहुत है आती।
लेकिन मजबूरी में अब मैं,
लिखती हूँ यह पातीll

कोरोना का कुसमय भैया,
शीघ्र गुजर जाएगा।
फिर से नया सवेरा होगा,
नव प्रकाश लाएगाll

रक्षाबंधन पर यह बहना,
मांगे दुआ यही है।
रहे सलामत मेरा भैया,
इच्छा और नहीं हैll

बचपन के वो दिन भी मुझको,
याद बहुत हैं आते।
समय निकल जाता है यूँ ही,
पकड़ न इसको पातेll

मम्मी-पापा की भी मुझको,
याद बहुत है आती।
इसीलिए भैया लिखती हूँ,
यह प्रेम की पातीll

परिचय-पेशे से अर्द्ध सरकारी महाविद्यालय में प्राचार्य (बांदीकुई,दौसा)डॉ.एन.के. सेठी का बांदीकुई में ही स्थाई निवास है। १९७३ में १५ जुलाई को बांदीकुई (राजस्थान) में जन्मे डॉ.सेठी की शैक्षिक योग्यता एम.ए.(संस्कृत,हिंदी),एम.फिल.,पीएच-डी., साहित्याचार्य,शिक्षा शास्त्री और बीजेएमसी है। शोध निदेशक डॉ.सेठी लगभग ५० राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठियों में विभिन्न विषयों पर शोध-पत्र वाचन कर चुके हैं,तो कई शोध पत्रों का अंतर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं में प्रकाशन हुआ है। पाठ्यक्रमों पर आधारित लगभग १५ व्याख्यात्मक पुस्तक प्रकाशित हैं। कविताएं विभिन्न पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं। आपका साहित्यिक उपनाम ‘नवनीत’ है। हिंदी और संस्कृत भाषा का ज्ञान रखने वाले राजस्थानवासी डॉ. सेठी सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत कई सामाजिक संगठनों से जुड़ाव रखे हुए हैं। इनकी लेखन विधा-कविता,गीत तथा आलेख है। आपकी विशेष उपलब्धि-राष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठियों में शोध-पत्र का वाचन है। लेखनी का उद्देश्य-स्वान्तः सुखाय है। मुंशी प्रेमचंद पसंदीदा हिन्दी लेखक हैं तो प्रेरणा पुंज-स्वामी विवेकानंद जी हैं। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-
‘गर्व हमें है अपने ऊपर,
हम हिन्द के वासी हैं।
जाति धर्म चाहे कोई हो 
हम सब हिंदी भाषी हैं॥’

Leave a Reply