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संगठन की शक्ति

दीपेश पालीवाल ‘गूगल’ 
उदयपुर (राजस्थान)
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प्राचीन समय की बात हैl एक जंगल में शेर-शेरनी रहते थे,उनके २ छोटे-छोटे बच्चे थे। यह चारों बड़े ही प्रेम से अपना जीवन जंगल के अन्य जानवरों के संग हँसी-खुशी व्यतीत कर रहे थे। जंगल में खुशहाली का माहौल था। सभी जानवर बड़े ही मज़े से रह रहे थे।
कुछ दिन बीते ओर जंगल में एक खतरनाक शिकारी आया। आते ही उसने जंगल में प्रलय मचा दियाl भोले-भाले जानवरों को परेशान करना शुरू कर दियाl अब क्या था शिकारी के आने की बात जंगल में आग की तरह फैल गई,सभी जानवर सचेत हो गए। शिकारी कई दिनों तक जंगल में आता रहा,किन्तु किसी भी जानवर का शिकार नहीं कर पाया,तो उसने कुछ दिन जंगल आना बंद कर दियाl फिर एक दिन वापस जंगल आया और शेरनी को पकड़ लिया,तथा अपने साथ ले गया। शेरनी को ले जाने की खबर प्राप्त करते ही शेर क्रोधावेश में आकर शेरनी को छुड़वाने अकेला ही निकल पड़ा। परिणामस्वरूप शिकारी ने चतुराई दिखाते हुए शेर को भी बन्दी बना लिया।
जंगल के राजा-रानी दोनों के बन्दी हो जाने पर जंगल में हा-हा कार मच गयाl सभी जानवर घबरा गए,अब क्या होगा! फिर क्या होना था शिकारी रोज़ आता और एक न एक जानवर को बन्दी बनाकर ले जाताl यह सिलसिला कई दिन तक चलता रहाl शिकारी आता और किसी न किसी का शिकार करके ले जाता।
इस रोज की परेशानी से निपटने के लिए हाथी काका ने सभा बुलाई जिसकी अध्यक्षता बन्दर मामा ने की,भालू डॉन मुख्य अतिथि, खरगोश पप्पू पेजर विशिष्ट अतिथि ओर जंगल के सभी जानवर मौजूद रहे। इसमें चर्चा हुई कि शिकारी एक बार में एक ही शिकार करता है,और अकेले जानवर का शिकार करता है तो कोई अकेला नहीं रहेगाl सभी एक-दूसरे के साथ रहेंगे और राजा एवं अन्य साथियों को आजाद करवाएंगे। इस हेतु एक संगठन की स्थापना की गई,जिसे काला पाड़ा लम्बा नाड़ा विश्व जानवर संगठन का नाम दिया गया।

आपसी समझौते से निर्णय लिया गया कि,कल सुबह पहली किरण पर शिकारी के घर पर आक्रमण होगाl इसी बीच बन्दर मामा और भालू डॉन ने अपनी सेना को हमले के आदेश जारी कर दिए। फिर क्या होना था,अगले दिन वानर सेना और सभी जानवरों ने शिकारी के घर हल्ला बोल दियाl शिकारी को जान बचा कर भागना पड़ा और सभी जानवरों के आपसी सहयोग से राजा, रानी तथा सभी जानवर स्वतंत्र हो गए।

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