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प्यार की राह

डाॅ. मधुकर राव लारोकर ‘मधुर’ 
नागपुर(महाराष्ट्र)

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काव्य संग्रह हम और तुम से…

सितम तो,मिलेंगे बहुत
उलफ़त की,राह में।
कदम से कदम,मिलाकर,
चलें साथ,प्यार की राह में॥

क्यूँ ख्वाहिश करना,जीते जी
बनवाने की,ताजमहल।
मैं तुम्हें मुमताज,समझ लूं,
प्रेम में डूबें रहें,अपने शीशमहल॥

मोहब्बत की,बस्ती में
आबाद रहें,हम और तुम।
इश्क़ के दुश्मनों से,दूर जहाँ,
सिर्फ प्यार हो,रहें हम और तुम॥

सूरज की रौशनी से
महरूम रहा,हमारा जीवन।
घिरे रहे अंधेरों,परेशानियों से,
पर साथ रहा,पल-पल जीवन॥

चाहने वाले,यूँ मिले बहुत,
कोई मुस्कराया,किसी ने हाथ हिलाया।
ज़माना लगा रहा,जुदा करने,
पर मुकद्दर ने,हमें मिलाया॥

जब तक ना,मिले थे तुम,
जीवन की बगिया,थी उजड़ी।
तुम क्या मिले,बहारे-ज़न्नत मिली,
अब हमने जीने की,’मधुर’ कसम खाली!!

परिचय-डाॅ. मधुकर राव लारोकर का साहित्यिक उपनाम-मधुर है। जन्म तारीख़ १२ जुलाई १९५४ एवं स्थान-दुर्ग (छत्तीसगढ़) है। आपका स्थायी व वर्तमान निवास नागपुर (महाराष्ट्र)है। हिन्दी,अंग्रेजी,मराठी सहित उर्दू भाषा का ज्ञान रखने वाले डाॅ. लारोकर का कार्यक्षेत्र बैंक(वरिष्ठ प्रबंधक पद से सेवानिवृत्त)रहा है। सामाजिक गतिविधि में आप लेखक और पत्रकार संगठन दिल्ली की बेंगलोर इकाई में उपाध्यक्ष हैं। इनकी लेखन विधा-पद्य है। प्रकाशन के तहत आपके खाते में ‘पसीने की महक’ (काव्य संग्रह -१९९८) सहित ‘भारत के कलमकार’ (साझा काव्य संग्रह) एवं ‘काव्य चेतना’ (साझा काव्य संग्रह) है। विविध पत्र-पत्रिकाओं में आपकी लेखनी को स्थान मिला है। प्राप्त सम्मान-पुरस्कार में मुंबई से लिटरेरी कर्नल(२०१९) है। ब्लॉग पर भी सक्रियता दिखाने वाले ‘मधुर’ की विशेष उपलब्धि-१९७५ में माउंट एवरेस्ट पर आरोहण(मध्यप्रदेश का प्रतिनिधित्व) है। लेखनी का उद्देश्य-हिन्दी की साहित्य सेवा है। पसंदीदा लेखक-मुंशी प्रेमचंद है। इनके लिए प्रेरणापुंज-विदर्भ हिन्दी साहित्य सम्मेलन(नागपुर)और साहित्य संगम, (बेंगलोर)है। एम.ए. (हिन्दी साहित्य), बी. एड.,आयुर्वेद रत्न और एल.एल.बी. शिक्षित डाॅ. मधुकर राव की विशेषज्ञता-हिन्दी निबंध की है। अखिल भारतीय स्तर पर अनेक पुरस्कार। देश और हिन्दी भाषा के प्रति विचार-
“हिन्दी है काश्मीर से कन्याकुमारी,
तक कामकाज की भाषा।
धड़कन है भारतीयों की हिन्दी,
कब बनेगी संविधान की राष्ट्रभाषा॥”

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