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इस्तीफा

डॉ. वंदना मिश्र ‘मोहिनी’
इन्दौर(मध्यप्रदेश)
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‘राखी’ प्रतिष्ठित एन.जी.ओ. में काम करने वाली सुंदर,होशियार व एक सुलझे हुए विचारों की युवती थी। अपना काम और घर व प्यारी-सी दो बेटियों को बहुत ही अच्छे ढंग से संभालती। आर्थिक तंगी के चलते वह अपने पति की मदद करना चाहती थी।
बहुत दिनों से एक बात उसको खाए जा रही थी कि कम्पनी के बॉस की नजर उसके प्रति ठीक नहीं है। ऐसा भी कहते हैं कि,स्त्री में एक छठी इंद्रिय होती है,जो पुरूषों की कलुषित भावनाओ को जल्दी भांप लेती है।
नौकरी करना उसकी मजबूरी भी थी,क्योंकि इस ‘तालाबंदी’ के चलते पति राजीव का छोटा-सा व्यापार पूरी तरह से बंद हो गया था। इस महामारी में नई नौकरी मिलना आसान भी नहीं था।
उसके बॉस मि. वर्मा आए दिन उसे फोन करते,द्विअर्थी बातें करते। राखी मजबूरी में कुछ कह नही पाती,हाँ-नामें जबाब देती जिससे सामने वाले का हौंसला बढ़ता जा रहा था। कभी-कभी वह सोचती,उसके बाप की उम्र का यह व्यक्ति,कितनी गन्दगी भरी इसके मन में…एक राखी ही नहीं,ऐसी कितनी ही मासूम और मजबूर औरतों का फायदा उठाने से नहीं चूकता वह,सब चुपचाप अपनी नौकरी बचाने के लिए उसे झेल रही हैं।
आज जब राखी ने अपनी रुकी हुई तनख्वाह को लेकर बात की,तो वह बोलता है-‘मिल तो जाएगी,बस टैक्स लगेगा।’
‘मतलब…!’ राखी ने डरते-सहमते हुए पूछा।
‘मतलब…बस ज्यादा नहीं,कुछ समय अकेले में घर आ जाओ।’ वह बड़ी कुटिलता से मुस्कुराया।
कहते हैं न,जब कुटिलता आती है किसी के मन में तो वह सामने वाले को ओर अधिक उत्पीड़न देता है।
राखी बेचैन हो गई। राजीव से भी वह कुछ बोल नहीं पा रही,क्योंकि वह पहले ही परेशान था। घर के आर्थिक हालात ठीक नहीं थे। राखी की तनख्वाह से घर चल रहा था। सीने के बीचों-बीच ज्वर उठता है,उसे कोई महसूस नहीं कर सकता,ऐसा ही कुछ राखी के भीतर चल रहा था।
आज उसे भी कुछ चुभ रहा था,जैसे हाथ में रखी पिन मुट्ठी में इसी तरह चुभती है,जैसे हमारे आसपास के रिश्ते,कुछ रिश्ते ऐसे ही होते हैं,ज्यादा कसो तो चुभने लगते हैं। ऐसा ही एक रिश्ता उसके और उसके बॉस का था। गलती उसी की है,जब शुरू में नौकरी लगी तो बॉस को खुश रखने के लिए ओवर टाइम करती,हँस-हँस कर बातें करती। यह सब आज उसे महंगा पड़ रहा था। बात यहां तक पहुँच जाएगी,उसने सोचा न था।
अचानक फोन की घण्टी ने राखी को चौंकाया,देखा तो बॉस का फोन था। वह अंदर तक सिहर गई। फोन उठाते से ही आवाज आई,-‘फिर कब आ रही हो हमें टैक्स देने…?’
‘टैक्स..!’ राखी की आवाज लड़खड़ा उठी। दूसरे दिन राखी एक दूसरे ऑफिस में साक्षात्कार दे रही थी। वह अपना इस्तीफा मेल कर चुकी थी।

परिचय-डॉ. वंदना मिश्र का वर्तमान और स्थाई निवास मध्यप्रदेश के साहित्यिक जिले इन्दौर में है। उपनाम ‘मोहिनी’ से लेखन में सक्रिय डॉ. मिश्र की जन्म तारीख ४ अक्टूबर १९७२ और जन्म स्थान-भोपाल है। हिंदी का भाषा ज्ञान रखने वाली डॉ. मिश्र ने एम.ए. (हिन्दी),एम.फिल.(हिन्दी)व एम.एड.सहित पी-एच.डी. की शिक्षा ली है। आपका कार्य क्षेत्र-शिक्षण(नौकरी)है। लेखन विधा-कविता, लघुकथा और लेख है। आपकी रचनाओं का प्रकाशन कुछ पत्रिकाओं ओर समाचार पत्र में हुआ है। इनको ‘श्रेष्ठ शिक्षक’ सम्मान मिला है। आप ब्लॉग पर भी लिखती हैं। लेखनी का उद्देश्य-समाज की वर्तमान पृष्ठभूमि पर लिखना और समझना है। अम्रता प्रीतम को पसंदीदा हिन्दी लेखक मानने वाली ‘मोहिनी’ के प्रेरणापुंज-कृष्ण हैं। आपकी विशेषज्ञता-दूसरों को मदद करना है। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-“हिन्दी की पताका पूरे विश्व में लहराए।” डॉ. मिश्र का जीवन लक्ष्य-अच्छी पुस्तकें लिखना है।