संजय गुप्ता ‘देवेश’
उदयपुर(राजस्थान)
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महाशिवरात्रि विशेष……..
चिदंबरम निरंजन शम्भू,
इस जग में केवल तू ही है तू।
अर्धनारीश्वर महादेव महेश,
तेरे बिना क्या रहा है शेष।
भोलेनाथ भैरूनाथ अमित,
तूने तीन लोक लिए जीत,
एकलिंगनाथ चंद्रशेखर त्रयबकं,
बम भोले बम बम॥
रूद्र प्रलयंकर अविनाश,
चरणों में जीवन की आस
मल्लिकार्जुन आशुतोष त्रिपुरारी,
तेरी महिमा न्यारी।
पशुपतिनाथ गिरीश देवधर,
हर बोल हर हर हर हर।
सर्वेश्वर औघड मतंग,
तेरे नाम का ना आदि ना अंत॥
केदारनाथ नागार्जुन नटराज,
नंदी साँपों का है साथ।
रामेश भावेश गिरिजापति,
तेरी भक्ति में ही है शक्ति।
अमरनाथ नागेश उमेश,
बाजत डमरू उडते हैं केश,
सुरेश सदाशिव चन्द्रधर,
कर्ता-धर्ता भर्ता-हर्ता अमर॥
विरूपाक्ष निखिल कैलाशनाथ,
देवों के देव हैं आप।
कोटेशवर बटूकनाथ डमरूधर,
त्रिशूल चन्द्र गंगाधर।
पार्वतीवल्लभ उमापति अम्बेश,
अपूर्व सुंदर योगी वेष।
बालकनाथ भीमेश्वर क्षेत्रपाल,
भभूत लेप सिंह खाल॥
काशीपति कैलाशपति अभ्यकंर,
कांपे पापी थर-थर।
बैद्यनाथ बैजनाथ त्रिलोचन,
प्रलय प्रतीक यह नयन।
विश्वेश्वरैया शिव शंकर,
कष्ट मिटा दे यह पंचाक्षर।
नीलकंठ महादेव चन्द्रमौलि,
ताडंव से सृष्टि डोली॥
सदाशिव सोमनाथ विश्वनाथ,
भक्त हर्षित,शत्रु नाश।
पिनाकी घूशमेश्वर गोपेश्वर,
पांचों तत्वों के रक्षक।
नागेश्वर औंकार अंकलेश्वर,
आओ उच्चारें ऊँ स्वर।
शिव नाम की महिमा भाई,
‘देवेश’ ने मन से गाई॥
परिचय–संजय गुप्ता साहित्यिक दुनिया में उपनाम ‘देवेश’ से जाने जाते हैं। जन्म तारीख ३० जनवरी १९६३ और जन्म स्थान-उदयपुर(राजस्थान)है। वर्तमान में उदयपुर में ही स्थाई निवास है। अभियांत्रिकी में स्नातक श्री गुप्ता का कार्यक्षेत्र ताँबा संस्थान रहा (सेवानिवृत्त)है। सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत आप समाज के कार्यों में हिस्सा लेने के साथ ही गैर शासकीय संगठन से भी जुड़े हैं। लेखन विधा-कविता,मुक्तक एवं कहानी है। देवेश की रचनाओं का प्रकाशन संस्थान की पत्रिका में हुआ है। आपकी लेखनी का उद्देश्य-जिंदगी के ५५ सालों के अनुभवों को लेखन के माध्यम से हिंदी भाषा में बौद्धिक लोगों हेतु प्रस्तुत करना है। आपके लिए प्रेरणा पुंज-तुलसीदास,कालिदास,प्रेमचंद और गुलजार हैं। समसामयिक विषयों पर कविता से विश्लेषण में आपकी विशेषज्ञता है। ऐसे ही भाषा ज्ञानहिंदी तथा आंगल का है। इनकी रुचि-पठन एवं लेखन में है।