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शिव:शिवरात्रि

बाबूलाल शर्मा
सिकंदरा(राजस्थान)
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महाशिवरात्रि विशेष……….

जय महेश शिव शंकर भोले।
डम ढम डम ढम डमरू बोले॥
कैलासी काशी के वासी।
सत्य सनेही शिव अविनाशी॥

भक्त सन्त शिवरात्रि जगाए।
द्वेष दोष भव दूर भगाए॥
मर्त्य मनोरथ मनुज जागरण।
सृष्टि हेतु रचि नव्यआभरण॥

गज गणेश गौरी गो नन्दी।
कार्तिकेय केकी कालिन्दी॥
चंद्र गंग सिर जटा विराजे।
भूत भभूत भंग अहि साजे॥

सिंधुमथन देवासुर हित चित।
पिये हलाहल सृष्टा जग हित॥
अमी देवहित हरिहित चपला।
कामधेनु जनहित गो कपिला॥

सृष्टा तुम विध्वंशक भोले।
भक्ति शक्ति सत उमा सतोले॥
विषधर शिम्भु संग सुख दाता।
भंग कनक पय विल्व सुहाता॥

अज्ञ ‘विज्ञ’ लिख कर चौपाई।
शिम्भु उमा प्रभु द्वार सुनाई।।
शर्मा बाबू लाल अमानी।
चाह कृपा तव औढरदानी॥

परिचय : बाबूलाल शर्मा का साहित्यिक उपनाम-बौहरा है। आपकी जन्मतिथि-१ मई १९६९ तथा जन्म स्थान-सिकन्दरा (दौसा) है। सिकन्दरा में ही आपका आशियाना है।राजस्थान राज्य के सिकन्दरा शहर से रिश्ता रखने वाले श्री शर्मा की शिक्षा-एम.ए. और बी.एड. है। आपका कार्यक्षेत्र-अध्यापन (राजकीय सेवा) का है। सामाजिक क्षेत्र में आप `बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ` अभियान एवं सामाजिक सुधार के लिए सक्रिय रहते हैं। लेखन विधा में कविता,कहानी तथा उपन्यास लिखते हैं। शिक्षा एवं साक्षरता के क्षेत्र में आपको पुरस्कृत किया गया है।आपकी नजर में लेखन का उद्देश्य-विद्यार्थी-बेटियों के हितार्थ,हिन्दी सेवा एवं स्वान्तः सुखायः है।

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