राजू महतो ‘राजूराज झारखण्डी’
धनबाद (झारखण्ड)
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भारत और चीन के रिश्ते स्पर्धा विशेष……

दोनों हैं घनी आबादी वाले देश,
आपस में सटे इनके कई प्रदेश।
दोनों के हैं भिन्न रूप,रंग व वेश,
साथ ही उनके हैं विपरीत संदेश।
कहता भारत-चीन है पड़ोसी मेरा,
रिश्ता रहा इनसे सदैव से हरा-भरा।
उनके व्यापार को खोलूं मैं बाज़ार,
वह भी बढ़ाए मेरे हितों का संचार।
चीनी नीयत में रही सदा ही खोट,
राम-राम बोल करता रहा है चोट।
सीमा बढ़ाने को देता सदा ध्यान,
धोखेबाजी छोड़ नहीं कोई ज्ञान।
वर्तमान के रिश्तों में लगा है दाग़,डोकलाम
में चला जब रक्तिम फाग।
हमें पसंद है जीवन में अमन-शान्ति,
पर छोड़ दें तो मिटा देंगे सब भ्राँति।
कहता राजू
चीनी जाओ तुम सुधर,
हमारी सीमा छोड़ बसो तुम स्वनिवास।
वर्ना क्रोध यदि हुआ सीमा से ऊपर,
होने लगेगा फिर सभी का स्वर्गवासll
परिचय–साहित्यिक नाम `राजूराज झारखण्डी` से पहचाने जाने वाले राजू महतो का निवास झारखण्ड राज्य के जिला धनबाद स्थित गाँव- लोहापिटटी में हैl जन्मतारीख १० मई १९७६ और जन्म स्थान धनबाद हैl भाषा ज्ञान-हिन्दी का रखने वाले श्री महतो ने स्नातक सहित एलीमेंट्री एजुकेशन(डिप्लोमा)की शिक्षा प्राप्त की हैl साहित्य अलंकार की उपाधि भी हासिल हैl आपका कार्यक्षेत्र-नौकरी(विद्यालय में शिक्षक) हैl सामाजिक गतिविधि में आप सामान्य जनकल्याण के कार्य करते हैंl लेखन विधा-कविता एवं लेख हैl इनकी लेखनी का उद्देश्य-सामाजिक बुराइयों को दूर करने के साथ-साथ देशभक्ति भावना को विकसित करना हैl पसंदीदा हिन्दी लेखक-प्रेमचन्द जी हैंl विशेषज्ञता-पढ़ाना एवं कविता लिखना है। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-“हिंदी हमारे देश का एक अभिन्न अंग है। यह राष्ट्रभाषा के साथ-साथ हमारे देश में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। इसका विकास हमारे देश की एकता और अखंडता के लिए अति आवश्यक है।