जन्नत और हूर

मौसमी चंद्रा पटना(बिहार) ************************************************************************ सुना है आजकल जन्नत में, रोज ही हूरों का आना लगा है ये नई आने वाली हूरें भी अजीब-सी हैं, कुछ के सिर्फ एक हाथ है, कुछ के केवल एक पैरl कुछ पूरा चेहरा जला कर आई है तेज़ाब से, तो कुछ केवल राख लेकर आई है कल तो एक की … Read more

क्यों मैं समझती रही

मौसमी चंद्रा पटना(बिहार) ************************************************************************ तुम हमेशा वैसे ही थे जैसे आज हो, क्यों मैं समझती रही तुम अलग हो। मैंने तुम्हें हमेशा ही दिखाये फूलों से लदे हरे-भरे पेड़, तुमने देखा उसके नीचे गिरे पीले पत्तों को। मैंने तुम्हें हमेशा ही दिखाई मोती से झड़-झड़ झड़ते, बारिश की बूंदें, तुमने देखा मिट्टी से सने गन्दे … Read more

चिड़िया के बच्चे

मौसमी चंद्रा पटना(बिहार) ************************************************************************ उफ्फ! फ़िर तिनके…परेशान कर रखा है इन चिड़ियों ने…। उमा एक हाथ में झाडू उठाये बड़बड़ाये जा रही थी। मैंने कमरे से ही आवाज लगायी-“क्या हो गया उमा ? क्यूँ गुस्सा कर रही हो इन बिचारी चिड़ियों पर..!” “क्या करूं दीदी,२ बार झाडू लगा चुकी हूँ। पूरे घर में इन शैतानों … Read more