‘कोविड’ जहर बनता गया
आशा आजाद`कृति`कोरबा (छत्तीसगढ़) ******************************************* आज कोविड जहर देख बनता गया,संक्रमण से मनुज नित्य मरता गया। क्या बिगाड़ा भला इस मनुज ने कहो,साँस मांगी मगर नित तड़पता गया। वेवजह तो नहीं आपदा की घड़ी,स्वार्थ रख सर्वदा कर्म करता गया। वृक्ष जब भी कटा,देख हँसता रहा,काठ के बिन मनुज आज जलता गया। खेल कुदरत नया आज ऐसा … Read more