कदम बढ़ाना ही होगा

अनिता मंदिलवार  ‘सपना’ अंबिकापुर(छत्तीसगढ़) ************************************************** चाहती हूँ,बहुत दूरचली जाऊँ,आवाज देनेपर भी,लौट न पाऊँ।अब इत्मीनान है,अकेला कोई नहींसब हैं साथ,अब आराम कीदरकार है।चिरनिद्रा,बुलाती है हमेंकदम,बढ़ाना ही होगावादे निभाये कम,टूटते ज्यादा हैं।जीवन,बना न अपनारह गया,कोई सपनादिल और दिमाग,चल पड़े हैंअलग राहों पर।इस अन्तर्द्वन्द्व का,अंजाम क्या होगाईश्वर ही जाने,सब खेल उसी का।हम एक पात्र मात्र,निभाते किरदारअपना,मंच पर यहाँ।जिसकी … Read more

निज हिंदी की शान बढ़ाना

अनिता मंदिलवार  ‘सपना’ अंबिकापुर(छत्तीसगढ़) ************************************************** अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस स्पर्धा विशेष…. निज हिन्दी की शान बढ़ाना,मधुर बोल ही तुम अपनाना। देखो बातें बहुत हुई अब,नीति अमल में लेकर आना। आगे आकर सभी सिखाओ,मान राष्ट्रभाषा दिलवाना। सबको शिक्षित करके अपने,भारत का सम्मान बढ़ाना। आओ हिंदी की सेवा में,कर्म महान हमें कर जाना। मस्तक की बिन्दी लगती है,हिंदी … Read more

हम और तुम

अनिता मंदिलवार  ‘सपना’ अंबिकापुर(छत्तीसगढ़) ************************************************** मैं,और तुमअब हैं हम।हम शब्द,एहसास दिलाता हैदो व्यक्तियों के लिएसमाज,परिवारऔर देश के लिए।आज देश को,जरूरत है हम बनेंहम कोशिश करें,मैं रहकर हम बनने की।साथ होकर,एक हुए हमेशाकामयाब हुए,क्योंकिएकता में शक्ति होती है।ऐसा पढ़ा,देखा,सीखा हमने,तो आइए आज हमसाथ न होकर भीसाथ निभाएं अपनों का।देश के प्रति,अपनी जिम्मेदारी निभाएंयही तो प्रेम है।देशप्रेम,जिसने … Read more

बिखरे रंग

अनिता मंदिलवार  ‘सपना’ अंबिकापुर(छत्तीसगढ़) ************************************************** रंगों का जीवन भी कितना अजीब होता है, जब वो बिखरते हैं अपने जैसा बना देते हैंl खुशियों के रंग कहीं कहीं दु:ख में नमी के रंग, बादल के सुनहरे रंग संगीत में सुरों का रंगl कहीं हँसी के रंग कहीं आँखों के भीगे रंग, खेतों के हरियाते रंग चिड़ियों … Read more

मैं हूँ नारी

अनिता मंदिलवार  ‘सपना’ अंबिकापुर(छत्तीसगढ़) ************************************************** मैं नारी हूँ कभी नहीं हारी हूँ, जग जननी हूँ जग पालक हूँ कहते हैं सब तो यही, क्योंकि,मैं हूँ नारी। सम्पूर्ण काम में अग्रणी, फिर भी वज्रपात सहती रहती करती कोई सवाल नहीं, क्योंकि,मैं हूँ नारी। शिक्षित हुआ समाज आज, फिर भी तिरस्कार क्यों ? सवाल यही है आज … Read more

बेटियाँ होती हैं किताब की तरह

अनिता मंदिलवार  ‘सपना’ अंबिकापुर(छत्तीसगढ़) ************************************************** बेटियाँ होती हैं किताब की तरह, माँ कहती है हो हिसाब की तरह। अब उसे उड़ने दो आसमान में, चमकेगी वह आफताब की तरह। तम से निकलकर उजाले की ओर, बादलों से निकल माहताब की तरह। रोको नहीं,नदी बनकर बहने दो, भावनाएँ बहेगी सैलाब की तरह। कठिन सवाल जीवन का … Read more

हमें सतर्क करती हैं आपदाएं

अनिता मंदिलवार  ‘सपना’ अंबिकापुर(छत्तीसगढ़) ************************************************** प्रकृति और मानव स्पर्धा विशेष…….. रंगों की, अलग भाषा होती है, जब कागज पर उकेरे जाएं तो, चित्रकारी जब प्रकृति रंग उकेरे, तो बन जाए इन्द्रधनुषl छा जाए हरियाली, पर हम वनों का विनाश, कर रहे हैंl तब आपदाएं हमें सतर्क करती हैं, कभी सूखा कभी बाढ़ के रूप में, … Read more

प्रकृति और हम

अनिता मंदिलवार  ‘सपना’ अंबिकापुर(छत्तीसगढ़) ************************************************** प्रकृति क्या है ? देखा जाए तो प्रकृति हमारे आसपास ही है। हमारे इर्द-गिर्द हरे पेड़-पौधे,सरसराती हवाएँ,पौधों पर जीवन व्यतीत कर रहे जीव-जन्तु, कलकल बहती नदियाँ, ऊँचे पहाड़ यही तो प्रकृति है,जिसके करीब हम रहना चाहते हैं,जो हमें पसंद है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण ये है कि हम पिकनिक मनाने … Read more

मकर संक्रांति

अनिता मंदिलवार  ‘सपना’ अंबिकापुर(छत्तीसगढ़) ************************************************** जाड़े की धूप गुनगुनी, सब बैठे हैं अलसाए भीनी-भीनी तिल खुशबू, आँगन सबका महकाए। नीले अम्बर पर भी, पतंग उड़ती जाए। तितली जैसी रंग बिरंगी, मन को बहुत भाए। ठंडी हवाओं के संग, झूमती बहारें आएं। मकर राशि में जब, सूर्य देवता प्रवेश पाएं। गुड़ की मिठास से, मन अमृत … Read more

ठिठुरती ठंड में

अनिता मंदिलवार  ‘सपना’ अंबिकापुर(छत्तीसगढ़) ************************************************** ठिठुरती ठंड में ओढ़ा दो कंबल मिले राहत जिंदगी को। अंधेरी ठंडी रात, बिस्तर संग पुआल चिड़िया दुबकी घोंसले में। घने कोहरों में, लिपटी रात कड़कड़ाती ठंड में, ठिठुरती जिंदगी पनाह माँगती। सिकुड़ते दिन, लम्बी रात होती सुबह भी सूरज, दुबका हुआ-सा। धुँध अपनी धुन में, करके हवाओं से दोस्ती … Read more