छीन ली

सुश्री अंजुमन मंसूरी ‘आरज़ू’छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश)******************************************* हादसों ने लबों की हँसी छीन ली।मेरी आँखों की सारी नमी छीन ली। ज़िंदगी देने वाले ने यूँ तो हमें,ज़िंदा रक्खा मगर ज़िंदगी छीन ली। जिनसे रौशन अभी था ज़मीं का जहाँ,उन सितारों से क्यों रौशनी छीन ली। गुल का मुरझाना लाज़िम है माना मगर,ऐ सबा तूने ताज़ा कली … Read more

दिल चाहता है आसमाँ-सा प्यार

सुश्री अंजुमन मंसूरी ‘आरज़ू’छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश)******************************************* बे-लौस महब्बत भरा क़िरदार ज़मीं पर।दिल चाहता है आसमाँ-सा प्यार ज़मीं पर। गर इश्क़ में तासीर हो मंज़र है ये मुमकिन,हो अर्श के महबूब का दीदार ज़मीं पर। उल्फ़त का जहां भर में नहीं मुल्क है कोई,हिंदोस्ताँ से बढ़ के परस्तार ज़मीं पर। है प्यार ज़ियादा ये गुमाँ तोड़ने … Read more

अनहद नाद

सुश्री अंजुमन मंसूरी ‘आरज़ू’छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश)******************************************* रचना शिल्प: मात्रा भार १६/१४ जीवनभर जो गूंजे ऐसा,मधुरिम राग सुनाओ ना।हाथ छुड़ाकर कहाँ चल दिये,दो पल साथ निभाओ ना॥ निश्चित है जाना ये माना,किंतु बिछड़ने से पहले,गीत मिलन के गाओ जिससे, पीर विरह की मन सह ले।कल आँसू हों सस्मित मेरे,सुधि ऐसी दे जाओ ना,जीवनभर जो गूंजे ऐसा,मधुरिम … Read more

उसने इक नज़र देखा

सुश्री अंजुमन मंसूरी ‘आरज़ू’छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश)************************************************** इस कदर उसने इक नज़र देखा।हमने ख़ुद को ही बन सँवर देखा। हमने देखा है देखना उसका,उसने मुड़-मुड़ के फिर इधर देखा। दीद के बाद उसकी यादों को,हर क़दम हमने हमसफ़र देखा। उसने पल भर जहाँ किया था क़याम,हमने छू-छू के वो शजर देखा। तन्हा चलते रहे मगर हमने,रास्ता … Read more

सब ख़ैरियत तो है

सुश्री अंजुमन मंसूरी ‘आरज़ू’ छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश) ********************************************************************  मिली हर शह्र को वीरानियाँ सब ख़ैरियत तो है ? सिफ़ारिश पा रही हैं दूरियाँ सब ख़ैरियत तो है ? बने फिरते थे सैलानी ज़माने भर के मुल्क़ों में, उड़ानों पर लगी पाबंदियाँ सब ख़ैरियत तो है ? जहाँ दिन रात रौनक रश्क़ करती थी जहां भर … Read more

मेरी दादी कहती थी

सुश्री अंजुमन मंसूरी ‘आरज़ू’ छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश) ********************************************************************  (रचना शिल्प:कुकुभ छंद आधारित, १६ + १४=३० मात्रा प्रतिपद,पदांत SS,युगल पद तुकांतता।) मिल-जुल कर इस घर में रहना,मेरी दादी कहती थी। समझौता जीवन का गहना,मेरी दादी कहती थी। कहती थी लड़ने से बच्चों,घर की बरकत जाती है। लाख जतन कर लो फिर लेकिन,कभी न रौनक आती है। … Read more

शिफ़ा दे मौला

सुश्री अंजुमन मंसूरी ‘आरज़ू’ छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश) ********************************************************************  बख़्श दे ज़ीस्त जहां को न क़ज़ा दे मौला। जानलेवा ये मरज़ है तू शिफ़ा दे मौला। कर करिश्मा के हकीमों के ज़हन हों रोशन, कुछ तो ईजाद करा कोई दवा दे मौला। लोग ख़िदमत में लगे हैं जो फ़रिश्तों की तरह, उनकी सेहत को मेरे दिल … Read more

मैं औरत हूँ

सुश्री अंजुमन मंसूरी ‘आरज़ू’ छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश) ********************************************************************  नज़ाकत हूँ तमाज़त हूँ इबादत हूँ मैं औरत हूँ, मुसन्निफ़ रब है जिसका वो इबारत हूँ मैं औरत हूँ। हक़ीक़त हूँ अक़ीदत हूँ मसर्रत हूँ मैं औरत हूँ, मुझे है नाज़ ख़ुद पर मैं वजाहत हूँ मैं औरत हूँ। मिले सौगात में नफ़रत का सहरा चाहे रिश्तों … Read more

अम्न की आरज़ू

सुश्री अंजुमन मंसूरी ‘आरज़ू’ छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश) ********************************************************************  हर इक हाथ तेग़-ओ-सिपर देखते हैं, हुईं साजिशें कारगर देखते हैं। चमन की फ़ज़ा पुर ख़तर देखते हैं, परिंदे ये कटता शजर देखते हैं। जले फूल गुलशन के नार-ए-हसद में, हैं नफ़रत के शोले जिधर देखते हैं। हुआ लाल अख़बार किसके लहू से, ये हैरत से सब … Read more

फूल गुलशन से बिछड़ के भी किधर जाएगा

सुश्री अंजुमन मंसूरी ‘आरज़ू’ छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश) ********************************************************************  बागवाँ,गर न तवज्जोह की,मर जाएगा, फूल गुलशन से बिछड़ के भी किधर जाएगा। इस तरह रोज़ बहेगी जो हवा नफ़रत की, ये मुहब्बत का चमन सारा बिखर जाएगा। एक ही किस्म के फूलों से बहार आई कब, यूँ तो बस रंग ख़िज़ाँ का ही उभर जाएगा। जब … Read more