मैं भारत हूँ

सुश्री अंजुमन मंसूरी ‘आरज़ू’छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश)******************************************* बसे दिल में सभी के वो ज़ियारत हूँ मैं भारत हूँ। (तीर्थ)मैं गीता वेद क़ुर'आँ की बशारत हूँ मैं भारत हूँ। (दिव्य प्रेरणा) रहा…

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तेरी रज़ा के चराग़

सुश्री अंजुमन मंसूरी ‘आरज़ू’छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश)******************************************* उमीद के रखें हम दिल में यूँ सजा के चराग़,हवा में जैसे रखे जाते हैं जला के चराग़। सभी के हक़ में दुआ आइए…

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इन दिनों

सुश्री अंजुमन मंसूरी ‘आरज़ू’छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश)******************************************* सबने ख़ुदा तुझे ही पुकारा है इन दिनों,तेरे सिवा न कोई सहारा है इन दिनों। अफ़सुर्दा महफ़िलों का नज़ारा है इन दिनों,तन्हाइयों का साथ…

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दिल चाहता है आसमाँ-सा प्यार

सुश्री अंजुमन मंसूरी ‘आरज़ू’छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश)******************************************* बे-लौस महब्बत भरा क़िरदार ज़मीं पर।दिल चाहता है आसमाँ-सा प्यार ज़मीं पर। गर इश्क़ में तासीर हो मंज़र है ये मुमकिन,हो अर्श के महबूब…

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अनहद नाद

सुश्री अंजुमन मंसूरी ‘आरज़ू’छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश)******************************************* रचना शिल्प: मात्रा भार १६/१४ जीवनभर जो गूंजे ऐसा,मधुरिम राग सुनाओ ना।हाथ छुड़ाकर कहाँ चल दिये,दो पल साथ निभाओ ना॥ निश्चित है जाना ये…

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उसने इक नज़र देखा

सुश्री अंजुमन मंसूरी ‘आरज़ू’छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश)************************************************** इस कदर उसने इक नज़र देखा।हमने ख़ुद को ही बन सँवर देखा। हमने देखा है देखना उसका,उसने मुड़-मुड़ के फिर इधर देखा। दीद के…

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तुझे ही पुकारा है इन दिनों

सुश्री अंजुमन मंसूरी ‘आरज़ू’छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश)********************************************************************  रचना शिल्प:वज़्न-२२१ २१२१ १२२१२१२ सबने ख़ुदा तुझे ही पुकारा है इन दिनों।तेरे सिवा न कोई सहारा है इन दिनों। अफ़सुर्दा महफिलों का नज़ारा है…

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सब ख़ैरियत तो है

सुश्री अंजुमन मंसूरी ‘आरज़ू’ छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश) ********************************************************************  मिली हर शह्र को वीरानियाँ सब ख़ैरियत तो है ? सिफ़ारिश पा रही हैं दूरियाँ सब ख़ैरियत तो है ? बने फिरते…

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मेरी दादी कहती थी

सुश्री अंजुमन मंसूरी ‘आरज़ू’ छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश) ********************************************************************  (रचना शिल्प:कुकुभ छंद आधारित, १६ + १४=३० मात्रा प्रतिपद,पदांत SS,युगल पद तुकांतता।) मिल-जुल कर इस घर में रहना,मेरी दादी कहती थी। समझौता…

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शिफ़ा दे मौला

सुश्री अंजुमन मंसूरी ‘आरज़ू’ छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश) ********************************************************************  बख़्श दे ज़ीस्त जहां को न क़ज़ा दे मौला। जानलेवा ये मरज़ है तू शिफ़ा दे मौला। कर करिश्मा के हकीमों के…

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