डोली
अवधेश कुमार ‘अवध’ मेघालय ******************************************************************** (रचनाशिल्प:१६,११-२७ मात्रिक) जीवन में आने वाली है,मधुमय मधुर बहार। अगर सुरक्षित पहुँचा देंगे,डोली सहित कहार॥ घर से बाहर तक रिश्तों की,गूँज रही चीत्कार। काश मुझे बचपन में मिलते,मनु जैसे संस्कार॥ नाना जैसा साथी मिलता,तात्या गुरु पतवार। राज पेशवा-सा मिल जाता,मुझको गर परिवार॥ इस डोली का आँचल भी तब,हो जाता निस्सार। … Read more