हमें चाहिए भाईचारा

अवधेश कुमार ‘अवध’ मेघालय ******************************************************************** दान दहेज कुप्रथा तजकर,ही बच्चों की शादी हो। हम दो और हमारे दो हों,छोटी-सी आबादी हो। राह कठिन हो और हौंसला पत्थर-सा फौलादी हो- हमें चाहिए भाईचारा,खाकी हो या खादी हो॥ परिचय-अवधेश कुमार विक्रम शाह का साहित्यिक नाम ‘अवध’ है। आपका स्थाई पता मैढ़ी,चन्दौली(उत्तर प्रदेश) है, परंतु कार्यक्षेत्र की वजह से गुवाहाटी … Read more

अहम रहा पैसा कभी नहीं

अवधेश कुमार ‘आशुतोष’ खगड़िया (बिहार) **************************************************************************** जो आदमी शरीफ़ हो,देखा कभी नहीं। मेरे लिए अहम रहा पैसा कभी नहीं। जिसमें निरीह जीव की हत्या करे सभी, तू कर यकीन वह सफल धंधा कभी नहीं। नित धर्म के अलाव पे रोटी जो सेंकता, धंधा उसी का चल पड़े,मन्दा कभी नहीं। बस एक बात जान लें शादी … Read more

बलात्कार की व्यापकता…विचारने की जरूरत

अवधेश कुमार ‘अवध’ मेघालय ******************************************************************** जब से मूलभूत आवश्यकताओं के अभाव में लोगों के मरने की समस्या खत्म हुई है,मानव जनित एक नई समस्या ने आकर समाज को घेर लिया है। मानव द्वारा मानव का बलात्कार,उम्र और लिंग को नजरअंदाज करते हुए बलात्कार,निजी और सार्वजनिक स्थलों पर बलात्कार,दुधमुँहे बच्चों से लेकर मरणासन्न तक बलात्कार एवं … Read more

नींद को वह उड़ाती रही

अवधेश कुमार ‘आशुतोष’ खगड़िया (बिहार) **************************************************************************** याद मीठी सताती रही, नींद को वह उड़ाती रहीl माघ लेकर सुमन आ गया, गंध खुद को लुटाती रहीl सो गए बाँह में मीत के, प्रीत मुझको जगाती रहीl आग को कुछ खबर भी नहीं, आशियाँ वो जलाती रहीl खो गयी चाँदनी भोर में, रातभर जो हँसाती रहीll परिचय-अवधेश … Read more

डोली

अवधेश कुमार ‘अवध’ मेघालय ******************************************************************** (रचनाशिल्प:१६,११-२७ मात्रिक) जीवन में आने वाली है,मधुमय मधुर बहार। अगर सुरक्षित पहुँचा देंगे,डोली सहित कहार॥ घर से बाहर तक रिश्तों की,गूँज रही चीत्कार। काश मुझे बचपन में मिलते,मनु जैसे संस्कार॥ नाना जैसा साथी मिलता,तात्या गुरु पतवार। राज पेशवा-सा मिल जाता,मुझको गर परिवार॥ इस डोली का आँचल भी तब,हो जाता निस्सार। … Read more

जिंदा रखता प्रेम ही

अवधेश कुमार ‘आशुतोष’ खगड़िया (बिहार) **************************************************************************** गज की अनुपम एकता,नहीं जरूरत साध्य। उस एका के सामने,केहरि भी हो बाध्यll एका ही वह ढाल है,जिससे रक्षा कौम। सोलह आने सत्य यह,तिमिर नाश ज्यों भौमll जिसके दिल में है नहीं,प्रेम दया सदभाव। वह वैसे ही डूबता,ज्यों पानी में नावll जिसने दु:ख जग का समझ,अपनाया संन्यास। उसका दु:ख … Read more

बलात्कारी भी हो सकता है मानव बम

अवधेश कुमार ‘अवध’ मेघालय ******************************************************************** मानव बम की खोज,किए मानव के दुश्मन, हत्या करते रोज,लूटकर मानवता धन। निर्दोषों को मार,स्वयं भी हैं मर जाते, मानवता का अन्त,खुदा के नाम लिखाते॥ बलात्कार-दुष्कर्म,उसी साज़िश का हिस्सा, घटना को लो जोड़,नहीं साधारण किस्सा। सोची-समझी चाल,चलें अब ये नरभक्षी, उनको है यह ज्ञात,कोर्ट उनका है रक्षी॥ रपट और कानून,सबल … Read more

शांति को दिल में बसाना चाहते हैं

अवधेश कुमार ‘आशुतोष’ खगड़िया (बिहार) **************************************************************************** शांति को दिल में बसाना चाहते हैं। भक्तिमय संगीत गाना चाहते हैं। नफ़रतें जग से मिटा कर यार हम तो, प्रेम की गंगा बहाना चाहते हैं। लोग के दु:ख दर्द का उनको पता है, देश में वो क्रांति लाना चाहते हैं। जो हमारे साथ चलते हैं हमेशा, हम उन्हें … Read more

सीमा का तिलक करती गाँव की माटी

अवधेश कुमार ‘अवध’ मेघालय ******************************************************************** शिवजी के धनुष पर विराजमान है काशी,और गंगा मैया काशी की अधिकांश सीमा को समेट लेने के लिए धनुषाकार हो गई है। दूरियों को मिटाती हुई चन्द्रप्रभा भी मिलन को सदियों से आतुर है। इसकी गोदी में राजदरी और देवदरी के चश्में चंचल बच्चों सरिस उछल-कूद रहे हैं। यहीं पर … Read more

दर्पण की व्यथा

अवधेश कुमार ‘अवध’ मेघालय ******************************************************************** जो जैसा मेरे दर आता, ठीक हूबहू खुद को पाता। फिर मुझ पर आरोप लगाता, पक्षपात कह गाल बजाता॥ मैं हँसता वह जल-भुन जाता, ज्यों दाई से गर्भ छुपाता। अदल-बदल मुखड़े लगवाता, रंग-रसायन नित पुतवाता॥ शिशु-सा नंगा रूप दिखाता, इठलाता एवं शर्माता। झूठ बोलने को उकसाता, सच्चाई से नज़र चुराता॥ … Read more