मेरे मास्टर जी…
डॉ. अनिल कुमार बाजपेयीजबलपुर (मध्यप्रदेश)*********************************** आँखों पर मोटा-सा चश्मा,छड़ी का वो जादुई करिश्मामाथे पे खिंची गहरी रेखाएं,ज्ञान की कहती थीं कथाएँ। सजल सौम्य उजला चेहरा,सूरज का मुखड़े पर पहरामीठी मधुर मिश्री घुली वाणी,हुई अवतरित वीणापाणि। कुर्ते की वो उलझी सिलवटें,जीवन के बिस्तर पर करवटेंतन पर एक सस्ती-सी धोती,लक्ष्मी कहाँ किसी की होती। काँधे पर कुछ … Read more