मेरे मास्टर जी…

डॉ. अनिल कुमार बाजपेयीजबलपुर (मध्यप्रदेश)*********************************** आँखों पर मोटा-सा चश्मा,छड़ी का वो जादुई करिश्मामाथे पे खिंची गहरी रेखाएं,ज्ञान की कहती थीं कथाएँ। सजल सौम्य उजला चेहरा,सूरज का मुखड़े पर पहरामीठी मधुर…

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मेरी राहों को रोशन किया

डॉ. अनिल कुमार बाजपेयीजबलपुर (मध्यप्रदेश)************************************* शिक्षक:मेरी ज़िंदगी के रंग’ स्पर्धा विशेष….. रास्ते पर मैं पड़ा था ठोकरें खाता हुआ,हाथ से तुमने तराशा और रत्न बन गयाअज्ञानता के अंधेरों से घिरा…

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उनकी बात करो…

डॉ. अनिल कुमार बाजपेयीजबलपुर (मध्यप्रदेश)************************************* अपनी ग़ज़ल में कभी रोटी से मुलाकात करो,पेट जिनके सिले हुए हैं उनकी बात करो। हसीन जुल्फ़ों का हर रोज जिक्र होता है,धूल से उलझी…

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कहाँ खो गए वो दिन…

डॉ. अनिल कुमार बाजपेयीजबलपुर (मध्यप्रदेश)************************************* अब कहाँ बची वो धींगामस्ती,दुःख महंगा था खुशियाँ सस्ती। कहाँ खो गए खेल के वो दिन,खेल बिना जीना नामुमकिन। कंचे पिट्टू गुल्ली-डंडा पतंग,हो जाता सारा…

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वो इंसान हो गया

डॉ. अनिल कुमार बाजपेयीजबलपुर (मध्यप्रदेश)************************************* दुत्कार में ही गुजरती है ग़रीबों की जिंदगी,जो बोल मीठे बोल दे वो अहसान हो गया। वैसे तो भरे पड़े हैं इस दुनिया में बादशाह,दो…

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सूनी चौखट सूने द्वारे

डॉ. अनिल कुमार बाजपेयीजबलपुर (मध्यप्रदेश)************************************* घर-परिवार स्पर्धा विशेष…… क्यूँ बूढ़ी आँखें राह निहारे,पड़ी सूनी चौखट सूने द्वारे। नहीं कोई गूंजे किलकारी,है मुरझाई फूलों की क्यारी। खामोशी का राज हो गया,भोलेपन…

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चलो,रोटी को आवाज दें

डॉ. अनिल कुमार बाजपेयीजबलपुर (मध्यप्रदेश)************************************* चलो हम आज रोटी को आवाज दें,पेट की उम्मीदों को नई परवाज़ दें। हमारी बस्ती में भी वो लगाए डेरा,गरीबों की गली में भी लगाए…

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देख लेंगे कितना तम है

डॉ. अनिल कुमार बाजपेयीजबलपुर (मध्यप्रदेश)************************************* दीप तो जलकर रहेगा,फूल भी खिलकर रहेगाआने दो इन आँधियों को-अहँकार मिटकर रहेगा। देख लेंगे कितना तम है,हम किसी से क्या कम हैंसंतान हैं माँ…

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अम्मा मुझको भूख लगी है…

डॉ. अनिल कुमार बाजपेयीजबलपुर (मध्यप्रदेश)************************************* बन्द हुई सारी दुकानें,बन्द हुए सारे बाजारबचा नहीं आटा झोली में,नहीं बची रोटी दो-चार।आँतों में भी आग लगी है,अम्मा मुझको भूख लगी है…॥ दूर-दूर तक…

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माँ तो बस माँ…

डॉ. अनिल कुमार बाजपेयीजबलपुर (मध्यप्रदेश)************************************* याद करो अपने शैशव को,सुंदर से अपने वैभव कोमाँ थी तुमको रोज सजाती,भर-भर कर अंजन लगाती।थे तुम उसकी ऑंखों के तारे,दुनिया में तुम थे सबसे…

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