खीजा हुआ हूँ

दृष्टि भानुशालीनवी मुंबई(महाराष्ट्र) ********************************** कोई न आना मनाने मुझे,समझानेबुझाने,बहलाने मुझेसोचा है थोड़ा एकांत रहूं,क्योंकि मैं खीजा हुआ हूँ। हर एक शय से खफा हूँ,है एक मेरी यही आरज़ूकोई ना करना मुझसे गुफ्तगू,क्योंकि में खीजा हुआ हूँ। ठंडी हवा भी लू-सी लगे,गुड़ भी लगे गिलोय जैसाहो गया अर्श में रवि से इंदु,अभी तक मैं खीजा हुआ हूँ। … Read more