सिसकी
डॉ. प्रताप मोहन ‘भारतीय’सोलन(हिमाचल प्रदेश)************************************** जब मन की पीड़ा,आँसू बन करगालों पर आती है,यही सिसकीकहलाती है। सिसकते हैं हम,बिछड़े प्रियतम की यादों मेंखो जाते हैं हम याद कर,उनकी बातों में। आँसू सिसकी की,शान बढ़ाते हैंबिना रुके,गिरते जाते हैं। कुदरत के आगे,नहीं चलती किसकीदुखी आत्मा की आवाज,होती है सिसकी। कौन याद करता है,ये हिचकियांबयां करती है,और … Read more