सूर्यास्त को देखा करें
मच्छिंद्र भिसेसातारा(महाराष्ट्र) ********************************************************** चल पड़े मंजिल पथ पर,खुद को इतना मजबूत करेंचाहे छूटे अपनों के हाथ,चाहे सुननी पड़े कर्णकटु बातखुद कभी न टूटा करें,हमेशा सूर्यास्त को देखा करें। सूरज दिखे,प्रभाती में पंछी चहके,बगियन में फूल भी महकेघर-आँगन भी सजते-गाते,दिनकर के भी रंग हैं भातेपर शाम होते ही सभी पीठ दिखाते,यह दुनिया-दस्तूर समझा करेंहमेशा सूर्यास्त को … Read more