रात भर

रेखा बोरालखनऊ (उत्तर प्रदेश)********************************* काव्य संग्रह हम और तुम से रात भर,सरगोशी करती हैतुम्हारी आवाज़कानों में मेरे,अधूरी नींद से चौंक करउठकर बैठ जाती हूँ मैं,यूँ लगा अभी-अभीतुम्हारा सायाझुका था मुझ…

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दे दो तुम सारा दुःख

रेखा बोरालखनऊ (उत्तर प्रदेश)************************************************************* कृत्रिम आवरण ओढ़े यह मुस्काते होंठ,किस दुःख को हो छुपा रहे तुम इसकी ओटगीली कोरें अधरों पर फीकी मुस्कान,बता रहे हैं लगी तुम्हें कोई गहरी चोट।…

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अच्छी लगती है

रेखा बोरालखनऊ (उत्तर प्रदेश)************************************************************* अच्छी लगती हैयह बरसात मुझे,मेरे आँसूओं को बहा ले जाती हैयह अपने साथताकि कोई न देख पाएमेरे रिसते घाव।अच्छा लगता है मुझे,बादल का गर्जनमेरे क्रन्दन को…

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अंतस दियरा बार

रेखा बोरा लखनऊ (उत्तर प्रदेश) ************************************************************* अंतस दियरा बार रे मानुष, अंतस दियरा बार। तेरा-मेरा क्यों सोचे है, जाना है हाथ पसार। रे मानुष...॥ जग है ये काजल की कोठी,…

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मन बावरा निशदिन

रेखा बोरा लखनऊ (उत्तर प्रदेश) ************************************************************* पपीहे की आवाज़ सुनाई देती है, करुणासिक्त पुकार सुनाई देती है तुम आए हो ऐसा लगता है मुझको, कदमों की पदचाप सुनाई देती है।…

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पारो

रेखा बोरा लखनऊ (उत्तर प्रदेश) ************************************************************* पारो तुम नायिका हो शरतचन्द्र के 'देवदास' की, काल्पनिक या कि वास्तविक मैं नहीं जानती, पर तुम मेरे अवचेतन में जीवन्त रही हर पल।…

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काम की बात

रेखा बोरा लखनऊ (उत्तर प्रदेश) ************************************************************* विश्व बाल दिवस स्पर्धा विशेष……….. प्यारे बच्चों तुम्हें बताऊँ, एक काम की बात। इसको रखना होगा, तुमको हरदम याद। चाहे रहो स्कूल में, या…

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जब तुम न होगे

रेखा बोरा लखनऊ (उत्तर प्रदेश) ************************************************************* क़तरा-क़तरा पिघलेंगी रातें तब... ख़ामोश निगाहें ढूँढा करेंगी... रातों के काले सायों में तुमको...। चाँद का मायूस चेहरा देखकर, सितारों की आँखें भी नम…

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प्रतीक्षा

रेखा बोरा लखनऊ (उत्तर प्रदेश) ************************************************************* अपनी अनन्त यादों... तुम्हारे असंख्य वादों के साथ जी रही थी मैं। मन कहता रहा.. तुम आओगे...जरूर आओगे, एक दिन! जाते हुए कहा था…

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मेरे अहं

रेखा बोरा लखनऊ (उत्तर प्रदेश) ************************************************************* मेरे अहं ! मेरे और तुम्हारे बीच लगातार... चलता रहता है घोर युद्ध... जिसमें अच्छी लगती है, तेरी पराजय मुझको... मेरे अहं! तुम नहीं…

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