अँधेरों को निगलते जा रहे
लक्ष्मण दावानी जबलपुर(मध्यप्रदेश) **************************************************************** खुशी के दीप जलते जा रहे हैंl हरिक मंजर बदलते जा रहे हैंl जला कर दीप दीवाली के यारों, अंधेरों को निगलते जा रहे हैंl बिछा के आँखें अब स्वागत में माँ के, दिल-ऐ-अरमां महकते जा रहे हैंl बसा कर प्रेम अंतर मन में अपने, रंगों में माँ के ढलते जा … Read more