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अँधेरों को निगलते जा रहे

लक्ष्मण दावानी
जबलपुर(मध्यप्रदेश)

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खुशी के दीप जलते जा रहे हैंl
हरिक मंजर बदलते जा रहे हैंl

जला कर दीप दीवाली के यारों,
अंधेरों को निगलते जा रहे हैंl

बिछा के आँखें अब स्वागत में माँ के,
दिल-ऐ-अरमां महकते जा रहे हैंl

बसा कर प्रेम अंतर मन में अपने,
रंगों में माँ के ढलते जा रहे हैंl

सजा रंगोलियाँ आँगन में अपने,
खुशी से फूले फलते जा रहे हैंl

बड़ा अनमोल है दीपोत्सव का दिन,
बुला माँ को उछलते जा रहे हैंll

परिचय-लक्षमण दावानी का स्थाई और वर्तमान निवास मध्यप्रदेश के जबलपुर में है। जन्म तारीख २६ दिसम्बर १९६८ और जन्म स्थान-जबलपुर है। आपकी शिक्षा-एम.कॉम. है। कार्य क्षेत्र में आप भवन निर्माणकर्ता हैं। इनकी लेखन विधा-गज़ल तथा मुक्तक है। 

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