अर्धनार-सा मनुष्य

संदीप धीमान चमोली (उत्तराखंड)********************************** स्त्री है ना पुरुष हैअर्धनार-सा मनुष्य है,मर्दानी और स्त्रैण में-भाव क्यों विरुद्ध है। खंड है तो खंडन क्योंलिंगभेद आडंबर क्यों,पूज्यनीय अर्धनारीश्वर-स्वयं भाव क्यों अवरुद्ध है! वंश में…

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दुनिया रंगरेज यहाँ

संदीप धीमान चमोली (उत्तराखंड)********************************** कोई साथ खड़ा हैकोई छोड़ रहा है,कोई हाथ पकड़ के भी-मुँह अपना मोड़ रहा है। दुनिया रंगरेज यहांचाह सतरंगी रंगों की,पक्के रंग चाहने वाला ही-अपने रंग छोड़…

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अपने में ही झांक रहे हैं

संदीप धीमान चमोली (उत्तराखंड)********************************** विश्व सौहार्द दिवस स्पर्धा विशेष…. अपने को ही परमात्मा में झांक रहे हैं,अर्थ अपने-अपने यहां सब भांप रहे हैं। हिन्दी,अंग्रेजी,उर्दू तमाम सभी भाषाएं,ख़ुदा को अपने ही फीते…

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सरल नहीं है कर्म

संदीप धीमान चमोली (उत्तराखंड)********************************** सरल नहीं है कर्म यहांगरल कर्म भाव है,धर्म की राह पर भी-धर्मराज पितृ न छाँव है। दोष पितृ मढ़े गएअपनों को ही मार कर,संग हरि थे वो…

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आना-जाना तय

संदीप धीमान चमोली (उत्तराखंड)********************************** जिंदगी चार दिन की जाना तय है,दिन उजाला तो रात का आना तय है। जन्म से पहले जहां था मैं कभी,उस जहां में वापिस जाना तय है।…

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