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दुनिया रंगरेज यहाँ

संदीप धीमान 
चमोली (उत्तराखंड)
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कोई साथ खड़ा है
कोई छोड़ रहा है,
कोई हाथ पकड़ के भी-
मुँह अपना मोड़ रहा है।

दुनिया रंगरेज यहां
चाह सतरंगी रंगों की,
पक्के रंग चाहने वाला ही-
अपने रंग छोड़ रहा है।

हर तरफ़ दोमुँही दुनिया
चाहत हाथ दोनों लड्डू,
एक का खा कर,दूजे से-
पहला कड़वा बोल रहा है।

त्रस्त,ग्रस्त सभी यहां है
उर भाव सभी के यहीं जमा है,
मुँह घुमा दूजे को झूठा-
खुद सत्य से जोड़ रहा है।

संतुष्टि का ले सहारा
भाव शून्य जो ओढ़ रहा है।
सम भाव से मस्त वही,जो-
यहां अकेला दौड़ रहा है॥

परिचय- संदीप धीमान का जन्म स्थान-हरिद्वार एवं जन्म तारीख १ मार्च १९७६ है। इनका साहित्यिक नाम ‘धीमान संदीप’ है। वर्तमान में जिला-चमोली (उत्तराखंड)स्थित जोशीमठ में बसे हुए हैं,जबकि स्थाई निवास हरिद्वार में है। भाषा ज्ञान हिन्दी एवं अंग्रेजी का है। उत्तराखंड निवासी श्री धीमान ने इंटरमीडिएट एवं डिप्लोमा इन फार्मेसी की शिक्षा प्राप्त की है। इनका कार्यक्षेत्र-स्वास्थ्य विभाग (उत्तराखंड)है। आप सामाजिक गतिविधि में मानव सेवा में सक्रिय हैं। लेखन विधा-कविता एवं ग़ज़ल है। आपकी रचनाएँ सांझा संग्रह सहित समाचार-पत्र में भी प्रकाशित हुई हैं। लेखनी का उद्देश्य-हिंदी भाषा व भारतीय संस्कृति का प्रचार प्रसार करना है। देश और हिन्दी भाषा के लिए विचार-‘सनातन संस्कृति और हिन्दी भाषा अतुलनीय है,जिसके माध्यम से हम अपने भाव अच्छे से प्रकट कर सकते हैं,क्योंकि हिंदी भाषा में उच्चारण का महत्व हृदय स्पर्शी है।

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