कोरा कागज़
डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’ अल्मोड़ा(उत्तराखंड) ****************************************************************************** इस धरती पर जब भी, कोई आता है। उसका मन कोरा कागज सा होता है। कोरे कागज पर, हर वर्ण व शब्द बिंदु मौजूद होते हैं। हर भाषा के, अवयव बिंदु मौजूद होते हैं। हर चित्र व आकृति के दृश्य बिंदु विद्यमान होते हैं। हर रंग व छठा की, ग्रहण … Read more
 
					